बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के भीतर मचे घमासान को सुलझाने में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अहम भूमिका निभाई. आखिरी वक्त तक यह तय नहीं हो पा रहा था कि गठबंधन में कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा.

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वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के अलग होने से महागठबंधन के टूटने का खतरा गहरा गया था. इसी बीच गहलोत की एंट्री हुई और उन्होंने पटना पहुंचकर हालात संभाल लिए है.

कौन होगा उप मुख्यमंत्री का चेहरा?

जानकारी के अनुसार, गहलोत ने पहले लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव से मुलाकात की, फिर मुकेश सहनी से बातचीत की. कई दौर की बैठकों के बाद महागठबंधन ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की और तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया. लेकिन सबसे बड़ी पहेली थी कि उप मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा.

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उप मुख्यमंत्री नहीं बनाया तो गठबंधन से हो जाएंगे अलग- मुकेश सहनी

सूत्रों के मुताबिक, मुकेश सहनी लगातार दबाव बना रहे थे कि उन्हें उप मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जाए. जबकि तेजस्वी यादव इसके पक्ष में नहीं थे. तेजस्वी चाहते थे कि पूरा चुनाव उनके चेहरे पर लड़ा जाए ताकि जीत की सूरत में पूरा श्रेय उन्हीं को मिले. इस मुद्दे पर मतभेद इतना बढ़ गया था कि मुकेश सहनी ने यहां तक कह दिया कि अगर उन्हें उप मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाया गया, तो वे गठबंधन से अलग हो जाएंगे.

कांग्रेस ने संभाला उप मुख्यमंत्री विवाद का मोर्चा

तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी के बीच मामला इतना बिगड़ गया कि कांग्रेस को बीच बचाव कर मोर्चा संभाला पड़ा. कांग्रेस नेता व पूर्व सीएम अशोक गहलोत पटना पहुंचे और दोनों पक्षों को एक साथ बैठाकर समझाया. सूत्रों के अनुसार, गहलोत ने तेजस्वी यादव को समझाया कि पहले चुनाव जीतिए, सरकार बनाइए और मुख्यमंत्री तो आप ही बनेंगे. अगर गठबंधन ही टूट गया तो फिर सरकार का सवाल ही नहीं उठेगा.

कांग्रेस की मध्यस्थता के बाद तय हुआ सहनी बनेंगे उप मुख्यमंत्री

गहलोत की मध्यस्थता के बाद तेजस्वी यादव मान गए. सहमति बनने के बाद साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान किया गया कि मुकेश सहनी को उप मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश किया जाएगा. साथ ही यह भी जोड़ा गया कि अन्य समुदायों से भी उप मुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं ताकि किसी वर्ग में असंतोष न फैले.

इस तरह, गहलोत के हस्तक्षेप से महागठबंधन टूटने से बच गया और चुनाव अभियान की दिशा तय हो सकी. राजनीतिक गलियारों में यह माना जा रहा है कि अशोक गहलोत ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक जादूगरी दिखाते हुए असंभव लग रही डील को संभव बना दिया. यही वजह रही कि तेजस्वी यादव को अंततः महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया जा सका.

वहीं दूसरी तरफ VIP सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस अपनी स्थिति साफ नहीं कर रही थी. राहुल गांधी के दखल के बाद बात बनी. तेजस्वी और गहलोत के सामने सहनी ने राहुल को फोन किया और राहुल से बात की और उसी फोन से गहलोत से भी बात करा दी जिसके बाद ऐलान हो गया.