बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार चुनावी मैदान में उतरी जन सुराज पार्टी जनता का भरोसा जीतने में विफल रही है और प्रवक्ता पवन के. वर्मा ने स्पष्ट कहा है कि पार्टी अब इस हार के कारणों की गंभीर समीक्षा करेगी. 14 नवंबर को नतीजों के ऐलान के बाद वर्मा ने माना कि बड़े अभियान और अपेक्षाओं के बावजूद जन सुराज जनता के समर्थन में बड़ी बढ़त नहीं ला पाई. बता दें कि आज के चुनाव में एनडीए भारी बहुमत के साथ चुनाव जीतता दिख रहा है. वहीं विपक्षी पार्टियों का बुरा हाल है.

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चुनावी नतीजों का हाल

ताजा आंकड़ों के अनुसार एनडीए 190 से ज्यादा सीटों पर आगे है और विपक्षी इंडिया गठबंधन 40 सीटों का आंकड़ा भी नहीं छूती हुई दिखाई दे रही है. एनडीए में JDU 78, BJP 91, LJP (रामविलास) 22 और HAM (S) 5 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. दूसरी ओर महागठबंधन में RJD 28, कांग्रेस 4, भाकपा (माले) 3 सीट पर बढ़त पर हैं, जबकि BSP को एक, AIMIM को 5 और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 4 सीट पर बढ़त मिली है. निर्वाचन आयोग के आंकड़े बताते हैं कि प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी खाता खोलने के लिए भी संघर्ष करती दिख रही है.

पवन वर्मा की प्रतिक्रिया

वर्मा ने कहा कि जन सुराज ने पूरी ईमानदारी और दृढ़ विश्वास के साथ चुनाव लड़ा लेकिन अगर जनता का विश्वास नहीं मिला तो पार्टी आत्ममंथन करेगी. पीटीआई के अनुसार, उन्होंने कहा कि प्रयासों में कमी नहीं थी लेकिन परिणाम उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहे. वर्मा के अनुसार चुनावी झटके के बावजूद जन सुराज ने रोजगार, पलायन, शिक्षा और भ्रष्टाचार मुक्त बिहार जैसे मुद्दों को मुख्यधारा की राजनीति में मजबूती से स्थापित कर दिया है.

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आगे की रणनीति और PK को लेकर बयान

वर्मा ने कहा कि पार्टी अपनी कमियों की समीक्षा करेगी और आगे क्या करना है, इसका जल्द निर्णय होगा. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि नीतीश कुमार को बिहार में अब भी व्यापक स्वीकार्यता प्राप्त है और जनता ने उन्हें फिर से जनादेश दिया है. प्रशांत किशोर के बिहार छोड़ने की अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए वर्मा ने कहा कि रहना या जाना उनका निजी निर्णय है लेकिन बिहार और PK एक-दूसरे को नहीं छोड़ सकते हैं. पूर्ण परिणाम आने के बाद PK भविष्य की रणनीति पर प्रतिक्रिया साझा करेंगे.