10 अक्टूबर देर रात पटना में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) की संसदीय बोर्ड की बैठक हुई. बैठक का मुख्य एजेंडा NDA में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सीट शेयरिंग था. पार्टी 15 सीटों की मांग पर अड़ी हुई है, जबकि BJP और JDU 7 सीट से अधिक देने को तैयार नहीं हैं. इस विवाद ने NDA में सीट वितरण को लेकर पेच पैदा कर दिया है. HAM की बढ़ती राजनीतिक भूमिका और प्रतिनिधित्व की मांग ने गठबंधन में चर्चा को और जटिल बना दिया है.

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मांझी की पार्टी की स्थिति

HAM ने स्पष्ट किया है कि वह 15 सीटों की मांग से पीछे नहीं हटेगी. पार्टी का तर्क है कि बिहार में उनकी बढ़ती लोकप्रियता और चुनावी योगदान के मद्देनजर उन्हें उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए. संसदीय बोर्ड की बैठक में वरिष्ठ नेता और पार्टी के रणनीतिकार शामिल हुए, जिन्होंने आगामी चुनाव की योजना और संभावित गठबंधन रणनीति पर विचार-विमर्श किया. केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि निर्णय जल्द ही होना चाहिए. उन्होंने कहा, "हम एनडीए के सहयोगी दल हैं, एनडीए के नेता दिल्ली में हैं, और हम भी अब दिल्ली जा रहे हैं. हम अनुशासित लोग हैं और अनुशासन में ही रहेंगे."

NDA में सीट शेयरिंग का पेच

BJP और JDU ने स्पष्ट किया है कि वे HAM को 7 सीट से अधिक नहीं दे सकते. HAM की 15 सीटों की मांग और NDA की तय सीमा के बीच दूरियां बनी हुई हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह विवाद चुनावी रणनीति और गठबंधन की ताकत को प्रभावित कर सकता है. पटना और दिल्ली में चल रही बैठकों में दोनों पक्ष अपने दृष्टिकोण को मजबूती से रख रहे हैं. HAM का मानना है कि उनकी पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, जबकि BJP और JDU अपने तय समझौते पर अड़े हैं.

HAM के नेता जल्द ही Delhi में NDA के वरिष्ठ नेताओं से मिलेंगे और सीटों के बंटवारे पर अंतिम निर्णय लेंगे. फैसला आने तक राजनीतिक माहौल तनावपूर्ण बना रहेगा. संभावित समझौता चुनाव से पहले गठबंधन की स्थिति और ताकत तय करेगा.