भागलपुर लोकसभा क्षेत्र में इस बार एबीपी बिहार एक्सपर्ट एग्जिट पोल 2025 के अनुसार कुल सात विधानसभा सीटों पर एनडीए को बढ़त मिलती दिख रही है, जबकि महागठबंधन तीन सीटों पर मजबूती से मुकाबले में है. बीजेपी को दो, लोजपा (रामविलास) को एक, जदयू को एक, आरजेडी को एक और वीआईपी को दो सीटें जाती दिख रही हैं. कुल 22 लाख से अधिक मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में 89 प्रत्याशी मैदान में हैं. मतदान में जनता की दिलचस्पी और एग्रेसिव वोटिंग ने यहां का माहौल गर्म कर दिया है. सरकार की मुफ्त बिजली योजना और अन्य वादों का असर वोटिंग पर साफ दिखा, जिससे मतदान प्रतिशत 60% से ऊपर जा सकता है.
भागलपुर जिले की सात विधानसभा सीटों में एनडीए को चार पर बढ़त मिलती दिख रही है, जबकि महागठबंधन तीन सीटों पर मजबूती से टिके हुए हैं. जातीय समीकरण, स्थानीय विकास कार्य और उम्मीदवारों की छवि इस चुनाव के निर्णायक कारक बन गए हैं.
भागलपुर की 7 सीटों का पार्टीवार बंटवारा -
- भाजपा: 2 सीटें - लोजपा: 1 सीट - जदयू: 1 सीट - राजद: 1 सीट - वीआईपी: 2 सीटें
भागलपुर में बीजेपी की वापसी के आसार
भागलपुर सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला. तीन बार के कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा के खिलाफ बीजेपी के रोहित पांडे मैदान में हैं. पिछली बार बेहद कम अंतर से हारने वाले पांडे इस बार मजबूत स्थिति में दिख रहे हैं. स्थानीय व्यापारिक वर्ग, खासकर बनिया और मारवाड़ी समुदाय, बीजेपी के पक्ष में मतदान कर रहा है. हालांकि, आंतरिक गुटबाजी और अश्विनी चौबे गुट बनाम शाहनवाज गुट के भीतरघात की चर्चा भी है, पर जनता का झुकाव रोहित पांडे की ओर ज्यादा है. संघ कार्यकर्ताओं की मेहनत और सरकार के जनकल्याण योजनाओं का लाभ भी बीजेपी को मिल रहा है.
कहलगांव में जदयू प्रत्याशी को मिली बढ़त
कहलगांव सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है. जदयू से शुभानंद मुकेश, कांग्रेस से प्रवीण सिंह कुशवाहा और राजद से रजनीश आनंद मैदान में हैं. वहीं बीजेपी के बागी पवन यादव निर्दलीय लड़ रहे हैं. स्थानीय पत्रकार चंदन कुमार के अनुसार, मुस्लिम वोटरों में कांग्रेस और राजद के बीच बिखराव के कारण जदयू को लाभ मिल रहा है. यादव वोटरों का विभाजन भी राजद के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है. समीकरणों को देखते हुए शुभानंद मुकेश की जीत तय मानी जा रही है.
पीरपैंती में पासवान फैक्टर और जातीय गणित
यहां सीधी टक्कर राजद के रामविलास पासवान और बीजेपी के मुरारी पासवान के बीच है. बीजेपी के बागी लालन पासवान के राजद में शामिल होने से समीकरण उलझे हैं. हालांकि स्थानीय जनमानस का मानना है कि लालन पासवान की नाराजगी राजद के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है. यादव वोटरों की नाराजगी और एनडीए में संभावित शिफ्टिंग बीजेपी के पक्ष में जाती दिख रही है.
सुल्तानगंज में जातीय समीकरण से तय होगी जीत
सुल्तानगंज में राजद प्रत्याशी चंदन सिंह और एनडीए के ललित मंडल के बीच कांटे की टक्कर है. यह कुर्मी बहुल क्षेत्र है और दोनों प्रत्याशी इसी समुदाय से आते हैं. 'शिवाजी सेना' नामक संगठन जिसमें करीब 42,000 मतदाता हैं, इस बार 'किंगमेकर' की भूमिका में है. संगठन के समर्थन से राजद प्रत्याशी चंदन सिंह की स्थिति मजबूत बताई जा रही है.
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नाथनगर सीट पर कांटे का मुकाबला
नाथनगर में आरजेडी के जिया हुसैन और लोजपा (रामविलास) के मिथुन यादव के बीच सीधा मुकाबला है. यादव वोटरों का झुकाव मिथुन यादव की ओर बताया जा रहा है, जबकि ओवैसी की पार्टी का प्रत्याशी मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगा रहा है. दलित-महादलित वोटरों की संख्या अधिक होने से यह सीट लोजपा के पक्ष में झुकती दिख रही है. जीत का अंतर बेहद कम रहने की संभावना है.
बिहपुर में दिखा भीतरघात और त्रिकोणीय संघर्ष
बिहपुर में बीजेपी के इंजीनियर शैलेंद्रर, वीआईपी की अर्चना भारती और जन सुराज के पवन चौधरी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है. अजय मंडल गुट की नाराजगी और अर्चना भारती को वीआईपी से टिकट मिलना बीजेपी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. भूमिहार वोटरों का बंटवारा और जनसुराज की सक्रियता से वीआईपी की अर्चना भारती को बढ़त मिलती दिख रही है.
गोपालपुर में गोपाल मंडल का प्रभाव
गोपालपुर सीट इस बार सबसे चर्चित रही. जदयू ने विवादों के चलते तीन बार के विधायक गोपाल मंडल को टिकट नहीं दिया, लेकिन उन्होंने निर्दलीय मैदान में उतरकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया. जदयू की ओर से बुलो मंडल और महागठबंधन की ओर से वीआईपी के डब्लू यादव मैदान में हैं. स्थानीय समीकरण और गोपाल मंडल के बागी रुख को देखते हुए वीआईपी प्रत्याशी डब्लू यादव की जीत संभावित मानी जा रही है.