मधेपुरा की चार सीटों में दो पर एनडीए को बढ़त, एक पर महागठबंधन की स्थिति मजबूत और एक पर कांटे का मुकाबला है. स्थानीय मुद्दे, जातीय संतुलन और महिला वोटरों का झुकाव इस बार परिणामों को नया रंग दे सकता है.

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एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मधेपुरा जिले की चार विधानसभा सीटों पर इस बार मुकाबला दिलचस्प और कड़ा दिखाई दे रहा है. एबीपी बिहार एक्सपर्ट एग्जिट पोल 2025 के अनुसार यहां एनडीए को दो सीटों पर बढ़त मिलती दिख रही है, जबकि महागठबंधन एक सीट पर मजबूती बनाए हुए है. एक सीट पर मुकाबला बेहद कड़ा बना हुआ है.

आलमनगर सीट से जेडीयू की जीत लगभग तय

पत्रकार तुरबसु के मुताबिक, आलमनगर सीट से जेडीयू के वरिष्ठ नेता नरेंद्र नारायण यादव की जीत लगभग तय मानी जा रही है. उनकी छवि एक जननेता की है और वे हर जाति में मजबूत पकड़ रखते हैं. यादव समुदाय के बीच भी उनकी लोकप्रियता बरकरार है. निरंजन मेहता और रेणु कुशवाहा दोनों एक ही जाति से आते हैं, लेकिन रेणु पहले मंत्री रह चुकी हैं, जिससे उनका प्रभाव क्षेत्रीय स्तर पर ज्यादा दिखता है. हालांकि, यादव-मुस्लिम वोट का बंटवारा यहां नतीजे बदल सकता है.

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यहां क्लिक कर पढ़ें बिहार के सभी 38 जिलों की 243 सीटों का एक्सपर्ट एग्जिट पोल

मधेपुरा में 4 सीटों का बंटवारा

NDA में- जेडीयू- 2

महागठबंधन में - राजद- 1

कड़ा मुकाबला- 1

यादव-मुस्लिम वोटों के समर्थन जीत सकता है महागठबंधन

मधेपुरा सीट पर एनडीए ने पहली बार एक नन-यादव महिला उम्मीदवार उतारी है, जिसे 'यादव लैंड' कहे जाने वाले क्षेत्र में बड़ा प्रयोग माना जा रहा है. पत्रकार मनीष वत्स के अनुसार, यहां वोट प्रतिशत 8 से 10 प्रतिशत तक बढ़ा है. यदि यह उत्साह वोट में तब्दील हुआ, तो आरजेडी को नुकसान हो सकता है. वहीं, पूर्व मंत्री रेणु कुशवाहा को यादव-मुस्लिम वोटों का समर्थन मिला तो महागठबंधन सीट निकाल सकता है.

सिंहेश्वर सीट पर जनता से दूरी चौपाल को पड़ी भारी

सिंहेश्वर सीट पर पत्रकारों का मानना है कि एनडीए के चौपाल की हार लगभग तय है. वे अपने कार्यकाल में जनता से जुड़े नहीं रह पाए, जबकि आरजेडी के रमेश ऋषिदेव लगातार लोगों के बीच सक्रिय रहे. लोकसभा चुनाव में भी इस नाराजगी की झलक देखी गई थी.

जातीय समीकरण से तय होंगे परिणाम

पत्रकार अमिताभ का कहना है कि मधेपुरा में जातीय ध्रुवीकरण इस बार सबसे निर्णायक भूमिका निभाएगा. यादव-मुस्लिम वोटों का जुड़ाव महागठबंधन को मजबूती दे सकता है, जबकि गैर-यादव वर्ग एनडीए के साथ एकजुट होता दिख रहा है. 'माय बनाम आल' की इस जंग का असली फैसला मतगणना में होगा.

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