पटना: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के आई हॉस्पिटल में बीते 22 नवंबर को 65 लोगों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था. ऑपरेशन के कुछ दिनों बाद तक सब कुछ ठीक रहा. हालांकि, उसके बाद लोगों के आखों में समस्या आने लगी. धीरे-धीरे समस्या बढ़ी, जिसके बाद लोगों के आखों को निकालने का सिलसिला शुरू हुआ. आखों की रोशनी खोने वाले सभी लोग गरीब तबके के हैं, जो मेहनत-मजदूरी कर परिवार का पेट पालते थे. सब काम गुपचुप तरीके से चल रहा था, इसी बीच एबीपी न्यूज के स्थानीय संवाददाता को इस बात की भनक लगी और उन्होंने डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही का खुलासा किया.


मामले में दर्ज की गई एफआईआर


15 लोगों के आखों को निकालने की खबर के सामने आने के बाद बवाल मच गया. पूरा स्वास्थ्य महकमा सकते में आ गया. आनन फानन मामले की जांच कराते हुई कार्रवाई का दौर शुरू हुआ. अस्पताल को सील किया गया, जांच कमेटी बैठाई गई. साथ ही मामले में एफआईआर दर्ज की गई. इधर, बेहतर इलाज के लिए लोगों को पटना बुलाया गया, जहां उनका आईजीआईएमएस में इलाज जारी है. विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने भी लापरवाही की बात स्वीकारते हुए कार्रवाई की बात कही है. मुजफ्फरपुर सिविल सर्जन ने भी माना कि गलती हुई है. 


 



पटना में हुई अनदेखी का खुलासा


सरकार की घोषणा के बाद इलाज के लिए पटना आए मरीजों के साथ भी लापरवाही की बात सामने आई. इस बात का भी पटना से एबीपी के लिए काम रहे साथी ने खुलासा किया, जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने तुरंत संज्ञान लेते हुए गलती में सुधार की. दरअसल, बीते महीने मुजफ्फरपुर के आंख अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने के बाद कई लोगों की आंखें खराब हो गईं थीं. इन्हीं में से दो मरीज मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में थे, जिन्हें पटना रेफर किया गया था. वे एंबुलेंस से आईजीआईएमएस तो आ गए थे, लेकिन यहां उन्हें बेड तक नहीं मिला था. इतना ही नहीं जब वे बाहर बैठे तो गार्ड ने उन्हें भगा दिया था. इस खबर को एबीपी ने प्रमुखता से चलाया, जिसके बाद मरीजों को बेड मिल गया.



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