पटना: एनडीए में लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग़ पासवान चुनावी शतरंज के खेल में अपनी चाल को धीरे-धीरे सामने ला रहे हैं. वहीं महागठबंधन में हम पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी रोज़ गठबंधन में को-ऑर्डिनेशन कमिटी की बात कर धमकी दे रहे हैं. सवाल यह है कि ये दोनों नेता आखिर चाहते क्या हैं? दोनों ही अपने-अपने गठबंधन के लिए सिरदर्द बन गए हैं.

चिराग पासवान रोज़ अपना स्टैंड बदल रहे हैं. एक दिन पहले उन्होंने दिल्ली में पार्टी नेताओं के साथ बैठक में 94 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी का दावा किया था. आज एक साथ दो ट्वीट कर अपनी मंशा और भी साफ कर दी.

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टियों की अलग-अलग राय, कोई पूरी तरह तैयार तो कोई कोरोना को लेकर चिंता ज़ाहिर कर रहे. चिराग ने पहले लिखा कि चुनाव के लिए तैयार हैं. एलजेपी नेता और जमुई सांसद चिराग पासवान ने शुक्रवार को कहा, ''मुझे खुशी है कि पार्टी संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष राजू तिवारी ने पार्टी के बिहार प्रदेश संसदीय बोर्ड की बैठक में 94 विधानसभा सीटों पर बूथ लिस्ट वेरीफाई कर सौंपी है. बाकी बची 149 सीटों पर जल्द सूची वेरीफाई कर जमा करने की बात कही है. लोक जनशक्ति पार्टी चुनाव के लिए तैयार है.''

बाद में लिखा कोरोना से ख़ज़ाने पर हुआ असर

वहीं चिराग ने सूबे में कोरोना की मौजूदा स्थिति के संबंध में कहा कि कोरोना के प्रकोप से बिहार ही नहीं पूरा देश प्रभावित है. कोरोना के कारण आम आदमी के साथ-साथ केंद्र और बिहार सरकार का आर्थिक बजट भी प्रभावित हुआ है. ऐसे में चुनाव से प्रदेश पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा. संसदीय बोर्ड के सभी सदस्यों ने इस विषय पर चिंता जताई है.

आखिर में कहा- चुनाव कराना लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं

आखिर में लिखा चिराग पासवा ने कहा कि यह चुनाव लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं. चिराग ने कहा कि चुनाव आयोग को भी इस विषय पर सोच कर निर्णय लेना चाहिए. कहीं ऐसा ना हो की चुनाव के कारण एक बड़ी आबादी को खतरे में झोंक दिया जाए. इस महामारी के बीच चुनाव होने पर पोलिंग पर्सेंटेज भी काफी नीचे रह सकते हैं, जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है.

जीतन राम मांझी की पार्टी का बयान

इधर, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि हम पार्टी विधानसभा चुनाव कराने के पक्ष में है. निर्वाचन आयोग जब चाहे चुनाव कराए हमारे कार्यकर्ता तैयार हैं. महागठबंधन में प्रेशर पॉलिटिक्स के परवान पर हैं. मांझी ने को-ऑर्डिनेशन कमिटी की बैठक को लेकर दबाव ऐसा बनाया की गठबंधन से बाहर निकलने का  तीन बार अल्टीमेटम भी दे दिया. दोनों तरफ मोलभाव का रास्ता खुला हुआ है.

एनडीए में बीजेपी और जेडीयू की दोस्ती पक्की है, वैसे ही महागठबन्धन में आरजेडी और कांग्रेस के बीच सब कुछ ठीक है. लेकिन चिराग, नीतीश कुमार पर बगैर नाम लिए निशाना साध रहे तो मांझी कभी नीतीश की तारीफ कर नया शिगूफा छेड़ दे रहे हैं. चिराग हर दिन कुछ ऐसा कह रहे हैं जिससे बीजेपी असहज हो रही है.

कांग्रेस ने कई मौके पर चिराग को दिया न्यौता

कांग्रेस पार्टी ने कई मौके पर चिराग को साथ आने का न्योता भी दे दिया है. तेजस्वी ने भी हाथ बढाने में दिलचस्पी दिखाई. दूसरी तरफ मांझी के लिए जेडीयू ने दरवाजा खोलने की बात कही है. अगर चिराग एनडीए से जाने का मन बनाते हैं तो इधर मांझी दरवाजे पर खड़े हैं. चिराग पासवान और जीतन राम मांझी दोनों ही अपने अपने गठबंधन में अपना शेयर तलाश रहे. ऐसे में दोनों के हाथ में पतवार है और ये चुनावी वैतरणी पार करने के किए-किस किनारे लगेंगे यह देखना दिलचस्प है.

इस साल के अंत तक बिहार में चुनाव

बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनाव आयोग ने भी साफ कर दिया है कि विधानसभा चुनाव अपने नियत समय पर ही होंगे. लेकिन कोरोना संकट के बीच चुनाव कराना बड़ी चुनौती है. महामारी के बीच चुनाव को लेकर सभी पार्टियों की अलग-अलग राय है. किसी का मानना कि डिजिटल चुनाव हो जबकि किसी का मानना है कि चुनाव को स्थगित कर दिया जाए, वहीं कुछ पार्टियां खुद को चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार बता रही हैं.

जेडीयू ने क्या कहा?

जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव कराए जाने का निर्णय भारतीय निर्वाचन आयोग ने लिया है. सभी राजनीतिक पार्टीयों से चर्चा करने के बाद आयोग ने यह फैसला लिया है कि चुनाव अपने नियत समय पर हो. ऐसे में जेडीयू ने चुनाव की मुक्कमल तैयारियां कर ली हैं. हम चाहते हैं विकास, सुशासन और राज्य को राष्ट्रीय मैप पर सम्मानजनक जगह दिलाने के लिए चुनाव समय पर हो, यह जरूरी है और हम इसके पक्ष में हैं. अब देखना यह है कि मांझी और चिराज की नैया किस किनारे लगती है.

मालूम हो कि बिहार में विधानसभा चुनाव इस साल अक्टूबर माह के बजाए अगले वर्ष फरवरी में करने को लेकर एक जनहित याचिका पटना हाईकोर्ट में दायर की गई है. अधिवक्ता बद्री नारायण सिंह की ओर से दायर अर्जी में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण से आम लोगों के साथ ही सरकार भी लड़ाई लड़ रही है. संक्रमण रुकने के बजाए बढ़ते ही जा रहा है. ऐसे में अक्टूबर महीने में चुनाव करना खतरों से खेलने के समान है.

अधिवक्ता ने याचिका में कहा है कि लोगों के सामने ना सिर्फ जीवन बचाने का सवाल है, बल्कि रोजी-रोटी और बेकारी की भी गंभीर समस्या बनी हुई है. ऐसी मुश्किल परिस्थितियों में इस साल अक्टूबर महीने में विधानसभा चुनाव कराना सही नहीं है. यहां चुनाव एक पर्व के समान है. कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ते ही जा रहा है. सरकारें और जनता इससे संघर्ष कर रही हैं. ऐसे में अगले साल फरवरी महीने में चुनाव कराने पर चुनाव आयोग को विचार करना चाहिए. 

चुनाव को लेकर बीजेपी का बयान

बीजेपी ने कहा कि चुनाव आयोग का हर निर्णय स्वीकार है. चुनाव आयोग स्वतंत्र, निष्पक्ष और साथ ही कोरोना के बाद के दौर में सुरक्षित चुनाव कराने की प्रक्रिया पर काम कर रही है. अगर चुनाव आयोग अपनी तैयारियों से संतुष्ट होगा और उनके विचार में माहौल अनुकूल होगा तो निश्चित तौर पर चुनाव समय पर ही होगा. हर राजनीतिक दल चुनाव के बारे में अपना विचार प्रकट करने के लिए स्वतंत्र है लेकिन चुनाव से संबंधित हर विषय पर चुनाव आयोग के दायरे और निर्णय की बात होती है. बीजेपी चुनाव आयोग का सम्मान करती है और अक्टूबर-नवंबर 2020 में आसन्न विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग के हर निर्णय का स्वागत करेगी.

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