Tejaswin Shankar's Story: कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 (VWG 2022) में हाई जंप में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले तेजस्विन शंकर (Tejaswin Shankar) को हमेशा एथलेटिक्स की जगह पढ़ाई पर ध्यान देने की सलाह मिलती थी. उनके पिता हरिशंकर अक्सर उन्हें इस बात के लिए फटकार लगाते रहते थे. हरिशंकर का मानना था कि उनके बेटे के लिए एथलेटिक्स एक सही करियर विकल्प नहीं है. जब तेजस्विन ने स्कूल में एथलेटिक्स ट्रेनिंग शुरू की तो उनके पिता अपने बेटे के इस फैसले से खुश भी नहीं थे. 


तेजस्विन शंकर ने एक इंटरव्यू में बताया है कि वह पिता से छुप-छुप कर एथलेटिक्स ट्रेनिंग में हिस्सा लेते थे. वह बताते हैं, 'जब भी पिता जी को मेरे एथलेटिक्स की ट्रेनिंग के बारे में पता चलता तो वह यही कहते थे कि क्या यही करते रहते हो, पढ़ाई में भी ध्यान दो'


तेजस्विन बताते हैं कि जब वह 15 साल के थे तो उन्हें अपने पिता से स्पोर्ट्स और पढ़ाई में से किसी एक को चुनने की सलाह मिली थी. यह साल 2014 की बात है. इसी साल रांची में स्कूल नेशनल्स प्रतियोगिता हुई थी. इस टूर्नामेंट में जाने से पहले तेजस्विन ने अपने पिता को एक लेटर लिखा था. इसमें उन्होंने पिता से कहा था कि रांची में होने वाला यह टूर्नामेंट उनका आखिरी स्पोर्ट्स टूर्नामेंट होगा, इसके बाद वह पढ़ाई पर ही ध्यान देंगे. वह यह लेटर अपने पिता को देकर रांची निकल गए, जहां उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता. 


15 साल के तेजस्विन का यह लेटर उनके पिता का ह्रदय परिवर्तित कर गया. तेजस्विन बताते हैं कि जब वह रांची चले गए थे तब उनके पिता ने इस बारे में काफी सोच विचार किया और फिर उन्हें अपने सपने पूरे करने की छूट दे दी. हालांकि इसके कुछ महीने बाद ही तेजस्विन के पिता की मौत हो गई.


दरअसल, तेजस्विन के पिता को ब्लड कैंसर था. साल 2014 में जब तेजस्विनी की उम्र महज 15 साल थी तभी मार्च में उनके पिता इस दुनिया को अलविदा कह गए. बहरहाल, तेजस्विन कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को पहला हाई जंप मेडल दिलाने के बाद एथलेटिक्स में देश की नई उम्मीद बने हुए हैं.


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