अगरतला: भारतीय जिमनास्टिक को एक नई पहचान दिलाने वाली प्रोडुनोवा क्वीन जिम्नास्ट दीपा करमाकर ने प्रतिष्ठित पद्मश्री सम्मान के लिये चुने जाने पर खुशी जताई है. करमाकर ने कहा,‘‘मैं बहुत खुश हूं. इससे मेरी जिम्मेदारी कई गुना बढ गई है. मैं सभी स्पर्धाओं में पदक जीतने के लिये पूरी कोशिश करूंगी.’’


दीपा ओलंपिक में भाग लेने वाली पहली भारतीय महिला जिम्नास्ट है. वह मामूली अंतर से पदक से चूक गई और रियो ओलंपिक में महिलाओं की वोल्ट स्पर्धा में चौथे स्थान पर रही.


दीपा ने 2014 ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन जिमनास्टिक चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता है. ओलंपिक जैसे बड़े मंच पर भी दीपा ने एतिहासिक प्रदर्शन किया. दीपा प्रोडुनोवा वोल्ट को सफलता से करने वाली दुनिया की सिर्फ पांचवीं जिमनास्ट हैं. प्रोडुनोवा को जिमनास्टिक सबसे खतरनाक वोल्ट माना जाता है, एक चूक से खिलाड़ी की जान भी जा सकती है.


23 साल की दीपा करमाकर को अगस्त 2016 में खेल रत्न से भी सम्मानित किया गया और अब दीपा उन चुनिंदा खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्हें पदमश्री से नवाजा गया है.


इस मौके पर उनके कोच बिश्वेश्वर नंदी ने कहा ,‘‘ दीपा हमारा गौरव है. वह हमारे राज्य की गोल्डन गर्ल है. उसे पद्मश्री के लिये चुने जाने से उसकी तैयारी और बेहतर करने की मेरी जिम्मेदारी बढ़ गई है ताकि वह देश का नाम और रौशन कर सके.’