टोक्यो ओलंपिक 2020 में हिस्सा लेने के लिए जा रहे तीन भारतीय तैराकों में से अगर कोई भी सेमीफाइनल तक पहुंचने में कामयाब रहता है तो यह देश के खेलों के इतिहास में नया रिकॉर्ड होगा. दरअसल, भारत ने पहली बार 1932 में ओलंपिक तैराकी में हिस्सा लिया था और 2016 तक कुल 26 तैराकों (20 पुरुष, छह महिलाएं) ने भारत का प्रतिनिधित्व किया है लेकिन इनमें से कोई भी अभी तक सेमीफाइनल में क्वालीफाई नहीं कर पाया. 


बता दें कि टोक्यो ओलंपिक में भारत के तीन तैराक साजन प्रकाश (पुरुष 200 मीटर बटरफ्लाई), श्री हरि नटराज (पुरुष 100 मीटर बैकस्ट्रोक) और माना पटेल (महिला 100 मीटर बैकस्ट्रोक) हिस्सा लेंगे. इनमें से साजन ‘ए’ कट हासिल करके ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय तैराक बने थे. बाद में नटराज ने भी अपनी स्पर्धा में ‘ए’ कट हासिल किया. वहीं माना पटेल ने विश्वविद्यालय कोटा से ओलंपिक में जगह बनाई है. 


ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले पहले भारतीय तैराक थे नलिन मलिक


नलिन मलिक ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले पहले भारतीय तैराक थे. उन्होंने 1932 लॉस एंजिल्स ओलंपिक में 400 मीटर और 1500 मीटर फ्रीस्टाइल में हिस्सा लिया था, लेकिन अपनी हीट में अंतिम स्थान पर रहे थे. 


लंदन ओलंपिक 1948 में भारत के सात तैराकों ने हिस्सा लिया था. पुरुष 100 मीटर फ्रीस्टाइल में तीन भारतीय सचिन नाग, दिलीप मित्रा और इसाक मंसूर उतरे. लेकिन सभी अपनी हीट में अंतिम स्थान पर रहे. हेलसिंकी ओलंपिक 1952 में डॉली नजीर और आरती साहा के रूप में दो भारतीय महिला तैराक पहली बार ओलंपिक में तरणताल में उतरी थीं. इसके बाद लंबे समय तक कोई भारतीय तैराक ओलंपिक में जगह नहीं बना पाया था. खजान सिंह ने सियोल ओलंपिक 1988 में हिस्सा लिया, लेकिन पुरुषों की 200 मीटर बटरफ्लाई स्पर्धा में 28वें स्थान पर रहे. 


अटलांटा ओलंपिक 1996 में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली संगीता पुरी इससे पहले त्रिनिदाद एंड टोबैगो की तरफ से मध्य एवं कैरेबियाई अमेरिकी खेलों में हिस्सा ले चुकी थी.  संगीता पुरी ने जब ओलंपिक में हिस्सा लिया तो वह 16 साल 236 दिन की थी और इस तरह से भारत की सबसे कम उम्र की ओलंपिक तैराक बनी थी. 


इसके बाद निशा मिलेट, शिखा टंडन, वीरधवल खाड़े और संदीप सेजवाल जैसे तैराकों ने भी ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया. लेकिन कोई भी प्रभावित नहीं कर पाया. साजन प्रकाश ने रियो ओलंपिक 2016 में भी हिस्सा लिया था, लेकिन वह पुरुषों की 200 मीटर बटरफ्लाई स्पर्धा में 28वें स्थान पर रहे थे. 


तैराकी एथेंस 1896 में ही ओलंपिक का हिस्सा बन गया था, लेकिन तब केवल पुरुष तैराकों ने इसमें हिस्सा लिया था. महिला तैराक पहली बार 1912 में स्टाकहोम ओलंपिक में इन खेलों का हिस्सा बनी थीं. 


ओलंपिक तैराकी में अमेरिका का रहा है दबदबा 


पहले ओलंपिक खेलों में फ्रीस्टाइल की चार स्पर्धाओं का आयोजन किया गया था, लेकिन रियो डि जेनेरियो ओलंपिक 2016 में पुरुष और महिला वर्ग में 17-17 स्पर्धाएं शामिल थी जबकि टोक्यो ओलंपिक में यह संख्या 18 कर दी गयी. अब 4X100 मीटर मेडल मिश्रित रिले भी ओलंपिक का हिस्सा बना दी गयी है. इसमें दो पुरुष और दो महिला तैराक भाग लेंगे. 


ओलंपिक तैराकी में शुरू से अमेरिका का दबदबा रहा है. हालांकि, उसे इस बीच ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, जापान आदि से चुनौती मिलती रही है. अमेरिका के नाम पर रियो ओलंपिक तक तैराकी में 248 स्वर्ण सहित 553 पदक दर्ज थे. अमेरिका के माइकल फेल्प्स को तरणताल का बादशाह कहा जाता है. उन्होंने ओलंपिक में 23 स्वर्ण सहित 28 पदक जीते हैं.