Neeraj Chopra Father Reaction: टोक्यो ओलंपिक में भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने देश के लिए पहला गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया. नीरज ने अपने दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर की दूरी के साथ पहला स्थान हासिल किया. उनकी इस उपलब्धि से पूरे देश में जश्न का माहौल है. राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर तमाम हस्तियां उन्हें इस कामयाबी के लिए बधाई दे चुकी हैं. हालांकि नीरज चोपड़ा का ओलंपिक में गोल्ड जीतने तक का सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है. उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में खुद को इस खेल के लिए तैयार किया और देश की झोली में सालों बाद गोल्ड मेडल डाल दिया. 


नीरज के पिता ने बताईं अनसुनी बातें 
नीरज मूल रूप से हरियाणा के पानीपत के रहने वाले हैं. पूरा परिवार ओलंपिक में उनके मैच को देख रहा था. जैसे ही नीरज जीते, वैसे ही उनके घर पर लोगों का तांता लग गया और मिठाइयां बांटने का दौर शुरू हो गया. इस दौरान उनके पिता ने बताया कि किस तरह सुविधाओं के अभाव में नीरज ने देश के लिए अनोखी उपलब्धि हासिल कर नाम रोशन किया है. नीरज के पिता सतीश कुमार ने कहा, "गोल्ड मेडल जीतने पर हमें अपने बेटे पर गर्व है. हमारे इलाके में खेल की सुविधाओं का अभाव है. वह अपने खेल के लिए घर से 15-16 किलोमीटर दूर जाता था."



कैसा रहा मुकाबले का रोमांच
टोक्यो ओलंपिक में शनिवार शाम खेले गए भाला फेंक मुकाबले में नीरज ने अपने पहले प्रयास में 87.03 मीटर की दूरी नापी और लीडरबोर्ड में पहले स्थान पर पहुंच गए. दूसरे प्रयास में नीरज ने 87.58 मीटर भाला फेंका और लीडरबोर्ड पर खुद को मजबूत किया और एक लिहाज से पदक पक्का कर लिया. तीसरे प्रयास में वह 76.79 मीटर की ही दूरी नाप सके. उनका चौथा प्रयास फाउल रहा. नीरज का पांचवां प्रयास भी फाउल रहा. 


नीरज ने शुरू से किया शानदार प्रदर्शन
नीरज को ओलंपिक से पहले ही पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा था और इस 23 वर्षीय एथलीट ने अपेक्षानुरूप प्रदर्शन करते हुए क्वालीफिकेशन में अपने पहले प्रयास में 86.59 मीटर भाला फेंककर शीर्ष पर रहकर फाइनल में जगह बनायी थी. पूरा देश शनिवार को उम्मीद लगाए बैठा था कि नीरज देश के लिए गोल्ड लाएंगे और वे उम्मीदों पर खरा उतरे. उनके इस गोल्ड मेडल के साथ भारत के पदकों की कुल संख्या 7 हो गई है.


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