नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के खिलाफ कडा रूख अख्तियार कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि अगली सुनवाई के दौरान अनुराग ठाकुर पर कार्रवाई हो सकती है और कोर्ट को भ्रमित करने की वजह से उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है. आरोप है कि अनुराग ठाकुर ने आईसीसी को कहा था कि वो एक चिट्ठी जारी करें और लिखें की अगर बीसीसीआई ने सीएजी नियुक्त किया तो आईसीसी उसकी मान्यता रदद् कर सकता है. कोर्ट ने इसे धोखाधड़ी माना है.


इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को यह संकेत दिया कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के मौजूदा अधिकारियों की जगह तीन सदस्यीय समिति ले सकती है, क्योंकि न्यायालय ने बीसीसीआई से संभावित नाम सुझाने के लिए कहा है, जिन्हें समिति में शामिल किया जा सके. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस.ठाकुर, न्यायमूर्ति ए.एम.खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ ने बीसीसीआई से नामों की मांग की, क्योंकि उसने सांगठन में सुधार के लिए न्यायमूर्ति आर.एम.लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए पूर्व केंद्रीय गृह सचिव जी.के.पिल्लई को तीन सदस्यीय कमेटी का प्रमुख बनाने पर आपत्ति जताई थी.



न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि जिस तरह से बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने न्यायालय को भ्रमित करने का प्रयास किया है, उससे उन पर झूठे साक्ष्य पेश करने का मामला बन सकता है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह झूठे साक्ष्य पेश करने का मामला है और दंडित किए जाने के अनुकूल है.



अनुराग ठाकुर हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर लोकसभा से सांसद भी हैं.



बीसीसीआई की तरफ से पेश हुए कपिल सिब्बल ने बोर्ड के प्रमुख अनुराग ठाकुर की तरफ से जैसे ही माफी मांगी, न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, "आपने ही हमें कहा था. आपने एक पत्र की बात कही थी, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के अध्यक्ष ने कहा था कि बीसीसीआई में सीएजी का नामांकित अधिकारी सरकार का दखल माना जाएगा."



न्यायमूर्ति ने कहा, "सीएजी का नामांकित अधिकारी सरकार का दखल है. अगर आप निकलना चाहते हैं, तो आपको माफी मांगनी चाहिए. आपको नहीं पता क्या होगा."



दरअसल, मामला अनुराग ठाकुर से संबंधित है. शशांक मनोहर जब बीसीसीआई अध्यक्ष थे, तब उन्होंने कहा था कि बीसीसीआई में सीएजी का नामांकित अफसर सरकार का दखल माना जाएगा. बाद में जब मनोहर आईसीसी के चेयरमैन बने तो इस संबंध में अनुराग ठाकुर ने उनसे एक पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था.



अनुराग ठाकुर के आचरण को अपवाद बताते हुए प्रधान न्यायमूर्ति ने कहा, "आपने स्पष्टीकरण की मांग की थी, ताकि आप हमारे पास लौट सकें और यह बताएं कि न्यायालय के निर्देश के बारे में आईसीसी क्या महसूस करती है."



मामले में न्यायमित्र गोपाल सुब्रमण्यम ने कमेटी के एक सदस्य के रूप में मोहिंदर अमरनाथ का नाम लिया.



न्यायमूर्ति लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों पर विचार-विमर्श पर आदेश सुरक्षित रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने बीसीसीआई को नाम सुझाने के लिए एक सप्ताह का वक्त दिया.