बीसीसीआई अध्यक्ष और पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली का भारतीय क्रिकेट के इतिहास में खास स्थान है. गांगुली को भारतीय क्रिकेट के सबसे बेहतरीन कप्तानों में माना जाता है. साथ ही उन्हें टीम इंडिया में बदलाव लाने वाले लीडर के तौर पर जाना जाता है. इसके साथ ही अपने वक्त में वनडे क्रिकेट के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों में भी उनकी गिनती होती है. हालांकि टेस्ट फॉर्मेट में उन्हें वैसा दर्जा हासिल नहीं है और पूर्व दिग्गज बल्लेबाज दिलीप वेंगसरकर ने इसके पीछे एक अहम वजह बताई है.


वेंगसरकर का मानना है कि अगर गांगुली ने टेस्ट क्रिकेट में अपने नियमित स्थान की बजाए ऊपरी क्रम में बल्लेबाजी की होती तो उनके रिकॉर्ड और बेहतरीन होते. टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए वेंगसरकर ने कहा, "मुझे हमेशा से ये लगता था कि अगर वो ऊपरी क्रम में बल्लेबाजी करते तो टेस्ट क्रिकेट में भी वो शानदार प्रदर्शन कर सकते थे."


पांचवें नंबर पर करते रहे बैटिंग


गांगुली का टेस्ट रिकॉर्ड अपने साथी सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग या वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गजों जितना प्रभावी नहीं है लेकिन उनका औसत हमेशा 40 से ऊपर रहा. गांगुली ने टेस्ट क्रिकेट में 113 मैच की 188 पारियों में 42.17 के औसत से 7212 रन बनाए, जिसमें 16 शतक शामिल हैं.


1996 में इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में डेब्यू करने वाले गांगुली ने पहले दोनों टेस्ट में ही शतक जड़ दिए थे. हालांकि तब गांगुली नंबर 3 पर उतरे थे और बाद में कप्तानी संभालने के बाद उन्होंने नंबर 5 और कभी-कभार नंबर 6 को ही अपनी जगह बना लिया था. अपने करियर में गांगुली ने 99 पारियां पांचवें नंबर पर खेली और सिर्फ 37 की औसत से रन बनाए.


वेंगसरकर ने ही कराई थी गांगुली की वापसी


गांगुली की बल्लेबाजी और कप्तानी की तारीफ करते हुए वेंगसरकर ने कहा, "स्पिनर्स के खिलाफ शानदार बल्लेबाजी करने वाले गांगुली को हमेशा ही ऑफ साइड पर शॉट लगाने में मजा आता था. वो खेल के बहुत अच्छे शिष्य थे और टीम प्रबंधन में भी बेहतरीन थे और उन्होंने भारत का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया."


2005 में टीम से ड्रॉप किए जाने के बाद जब गांगुली की कई महीनों बाद टीम में वापसी हुई तो उस वक्त वेंगरसरकर ही मुख्य चयनकर्ता थे. वापसी के बाद गांगुली ने करीब ढ़ाई साल और क्रिकेट खेला और टेस्ट फॉर्मेट में अपना सर्वश्रेष्ठ स्कोर (पाकिस्तान के खिलाफ 239 रन) बनाया.


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