IND vs AUS: पूर्व भारतीय बल्लेबाज और फेमस क्रिकेट कमेंटेटर संजय मांजरेकर को लगता है कि पारी के अंतिम ओवर में रविंद्र जडेजा के सिर पर मिशेल स्टार्क की गेंद लगने के बाद टीम के फिजियो नितिन पटेल की मैदान से अनुपस्थिति कनकशन प्रोटोकॉल का उल्लघंन है.


जडेजा को हैमस्ट्रिंग चोट भी लगी थी, जिसके बाद कनकशन विकल्प के तौर पर युजवेंद्र चहल को उतारा गया, जिन्होंने 25 रन देकर तीन विकेट चटकाये और भारत की ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शुक्रवार को कैनबरा में पहले टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच में 11 रन की जीत में अहम भूमिका अदा की.


मांजरेकर ने ‘सोनी सिक्स’ पर कहा, "बहुत ही महत्वपूर्ण प्रोटोकॉल का उल्लघंन हुआ है. मुझे पूरा भरोसा है कि मैच रैफरी भारत से इस मुद्दे को उठायेंगे. लेकिन इस प्रोटोकॉल की सबसे मुख्य चीज यही है कि जिस क्षण गेंद आपके सिर पर लगती है तो फिजियो को बल्लेबाज के साथ क्रीज पर होना चाहिए और पूछना चाहिए कि उसे कैसा लग रहा है."


मांजरेकर ने कहा, "फिजियो को क्रीज पर आना चाहिए था और कुछ सवाल होते हैं जिन्हें बल्लेबाज से पूछा जाता है, वो उन्हें जडेजा से पूछने चाहिए थे. लेकिन जडेजा को गेंद लगी और कोई विलंब भी नहीं हुआ और उसने खेलना जारी रखा."


वहीं, पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर टॉम मूडी ने भी जडेजा की चोट की गंभीरता पर संदेह व्यक्त किया, क्योंकि इसके लिये चिकित्सा की जरूरत नहीं पड़ी.


अब कोच और कमेंटेटर मूडी ने पूछा, ‘‘मुझे जडेजा के विकल्प के तौर पर चहल को लाने से कोई परेशानी नहीं है. लेकिन मुझे परेशानी इस बात से है कि जडेजा को हेलमेट पर गेंद लगने के बाद डॉक्टर और फिजियो वहां मौजूद नहीं थे, जो मुझे लगता है कि अब प्रोटोकॉल है?’’


मांजरेकर ने कहा कि जडेजा के बल्लेबाजी जारी रखने से भारत को कोई बड़ा फायदा नहीं हुआ, क्योंकि भारत ने इसके बाद केवल नौ रन ही जोड़े. लेकिन उसकी चोट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाये जा सकते हैं.


उन्होंने कहा, "उसने सिर्फ नौ रन जोड़े, यह कोई बड़ा फायदा नहीं था. लेकिन गेंद लगने के बाद कम से कम दो या तीन मिनट होने चाहिए थे, जिसमें भारत के सहयोगी स्टाफ को आना चाहिए था. यह थोड़ा ज्यादा विश्वसनीय दिखता."


हालांकि मांजरेकर इस बात से सहमत थे कि मैच रैफरी डेविड बून के पास कनकशन विकल्प भारत को देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. उन्होंने कहा, " हालांकि, मैं एक चीज कहूंगा, डेविड बून के पास भारत को कनकशन विकल्प देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. क्योंकि उनमें शायद यह कहने का साहस नहीं होगा कि वह इसकी अनुमति नहीं देंगे क्योंकि गेंद लगने के बाद इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था. कनकशन विकल्प का अनुरोध किये जाने पर उन्हें ऐसा करना ही पड़ता."