Ranji Trophy History: साल 1934-35 में रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) पहली बार खेली गई. तब से लेकर अब तक के 88 सालों में लगभग हर साल इस घरेलू टूर्नामेंट (Domestic Tournament) का आयोजन होता रहा है. कुछ ही मौकों पर ऐसा हुआ जब इसका आयोजन नहीं किया गया. जैसे पिछले साल ही कोरोना के कारण यह ट्रॉफी आयोजित नहीं हो सकी. भारत के रिजनल और स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन के बीच खेले जाने वाले इस सबसे बड़े घरेलू टूर्नामेंट में आज (6 जून) से सीजन 2022 के क्वार्टर फाइनल मुकाबले शुरू हो चुके हैं. ऐसे में हम आपको इस अहम ट्रॉफी के इतिहास की ओर ले जा रहे हैं..


घरेलू टूर्नामेंट का नाम रणजी ट्रॉफी ही क्यों?
रणजी ट्रॉफी का नाम अंग्रेजों के अधीन रहे भारत में नवानगर (वर्तमान में जामनगर) स्टेट के महाराजा रणजीत सिंह के नाम पर रखा गया. वह 1907 से 1933 तक इस स्टेट के महाराजा रहे. इससे पहले उन्होंने क्रिकेट में खूब नाम कमाया. वह भारत के पहले क्रिकेटर थे, जिन्हें इंग्लैंड की क्रिकेट टीम से खेलने का मौका मिला था. इन्होंने इंग्लैंड के लिए 1896 से 1902 के बीच 15 टेस्ट मैच खेले. इनमें उन्होंने 45 की बल्लेबाजी औसत से 989 रन बनाए. यह वह दौर था जब भारत की क्रिकेट टीम नहीं हुआ करती थी. इस दौर में रणजीत सिंह ने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के लिए फर्स्ट क्लास क्रिकेट और ससेक्स के लिए काउंटी क्रिकेट भी खूब खेला. 


पटियाला के महाराजा की ओर से दी गई ट्रॉफी
रणजीत सिंह की 1933 में मृत्यू के बाद उनके नाम पर भारत में एक घरेलू टूर्नामेंट शुरू करने की योजना बनने लगी. 1934-35 में इस विचार ने मूर्त रूप लिया और घरेलू टूर्नामेंट को शुरू किया गया. पहला मैच 4 नवंबर 1934 को मद्रास और मैसूर के बीच चेपक के मैदान पर खेला गया. इस टूर्नामेंट के लिए पटियाला के महाराज की ओर से ट्रॉफी दान में दी गई थी.


88 साल में कई बार बदला फॉर्मेट
रणजी ट्रॉफी के फॉर्मेट में पिछले 88 सालों में कई बदलाव हुए. पहले नॉर्थ, साउथ, ईस्ट और वेस्ट चार जोन में टीमें बांटी गईं. बाद में सेंट्रल जोन भी लाया गया. पहले सीधे नॉक आउट मैच होते थे. बाद में इस लीग बेसिस जैसा किया गया. हर दशक के साथ-साथ टीमों की संख्या बढ़ती गई. फिलहाल इसका फॉर्मेट एलिट ग्रुप और प्लेट ग्रुप में बंटा हुआ है. आठ एलिट ग्रुप हैं, जिनमें राज्य  और रिजनल एरिया की मजबूत टीमें शामिल होती हैं. वहीं एक प्लेट ग्रुप है, जिसमें कमजोर टीमों को रखा जाता है.


मुंबई ने जीती है सबसे ज्यादा बार रणजी ट्रॉफी
मुंबई की टीम अब तक इस घरेलू टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा बार विजेता बनी है. मुंबई ने कुल 41 रणजी ट्रॉफी जीती हैं.  इस टूर्नामेंट की दूसरी सबसे सफल टीम कर्नाटक रही है, जिसने 8 बार यह खिताब अपने नाम किया है. दिल्ली यहां 7 ट्रॉफी के साथ तीसरे नंबर पर है.


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