नई दिल्ली: टेस्ट क्रिकेट में भारत की ओर से जिन दो खिलाड़ियों के नाम तीहरा शतक दर्ज है उनके नाम है वीरेंदर सहवाग और करूण नायर. वीरेंदर सहवाग से शायद ही कोई भारतीय क्रिकेट प्रेमी अनजान हो. लेकिन करूण नायर भारतीय क्रिकेट का एक ऐसा नाम है जिसने जितनी जल्दी बुलंदियां देखी, उतनी ही जल्दी धरातल पर भी आ गए.


खुद करूण नायर को भी इस बात का इल्म हो चला है कि वो पिछले एक साल में कहां से कहां आ गए. एक समय उभरते हुए खिलाड़ियों में शामिल करूण नायर को 12 महीने में ही अनुभव हो गया कि खेल में कितना उतार चढ़ाव आ सकता है.


दिसंबर 2016 में टेस्ट क्रिकेट में तिहारा शतक जड़कर नायर ने सुर्खियां बटोरी थी लेकिन दिसंबर 2017 तक वह किसी भी प्रारूप में भारतीय टीम में जगह बनाने की दौड़ में शामिल नहीं थे.


नायर की नजरें अब चोटिल आर विनय कुमार की गैरमौजूदगी में कर्नाटक को विजय हजारे ट्राफी का खिताब दिलाने पर टिकी हैं जिसे आज क्वार्टर फाइनल में हैदराबाद से फिरोजशाह कोटला पर भिड़ना है.


तिहरे शतक के बाद के जीवन के बारे में पूछने पर नायर ने कहा, ‘‘पिछले एक साल ने मुझे सब कुछ दिखा दिया. यह मुझे आसमान पर ले गया और फिर धरती पर पटक दिया.’’


फिर क्या सब सीखा यह पूछने पर नायर ने कहा, ‘‘इसने मुझे सिखाया कि भावनात्मक रूप से स्थिर रहो. जब आप शीर्ष पर हो तो ऊंचे नहीं उड़ सकते क्योंकि आप कभी भी नीचे गिर सकते हो. आपको समान व्यक्ति रहना होगा. एक साल में ही इसने मुझे मेरे जीवन में सब कुछ दिखा दिया.’’