साल 2007 भारतीय क्रिकेट के लिए एक ऐसा दौर था जैसे किसी जलजले की तबाही के बाद की नई शुरुआत हो. यह साल भारतीय क्रिकेट टीम के लिए बहुत ही उतार चढ़ाव से भरा रहा. ये वही साल था जब वेस्टइंडीज में खेले गए 50 ओवरों के विश्व कप में भारतीय टीम लीग स्टेज से ही बाहर हो गई थी.


विश्व कप में भारत की इस निराशाजनक हार के बाद देश में टीम के खिलाड़ियों के प्रति खूब गुस्सा था लेकिन इसी साल सितंबर महीने में भारतीय टीम ने इस विश्व कप की इस हार को भुलाकर क्रिकेट में एक नई इबारत लिखी.


जी हां, 24 सितंबर 2007 का दिन हमेशा के लिए भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया. आज ही के दिन भारत ने महेंद्र सिंह धोनी की अगुआई में पहले टी-20 विश्व कप का खिताब जीता था.


 


इस जीत के बाद मानों भारतीय क्रिकेट में एक नए युग की शुरुआत हुई. इस जीत की खुशी में पूरा देश झूम उठा था और झूमते भी क्योंकि नहीं, टीम इंडिया ने विश्व कप के फाइनल में अपने चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को हराया था.


युवा खिलाड़ियों से सजी टीम इंडिया


50 ओवरों के विश्व कप में लीग स्टेज से बाहर होने के बाद भारतीय टीम में आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिला. टी-20 विश्व में प्रमुख सीनियर खिलाड़ियों को टीम में शामिल नहीं किया गया था. वहीं भारतीय टीम मैनेजमेंट ने भी महेंद्र सिंह धोनी को टीम का कप्तान नियुक्त कर सबको चौंका दिया.


हालांकि उस टीम में वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, युवराज सिंह जैसे खिलाड़ी मौजूद थे लेकिन मैनेजमेंट ने धोनी पर अपना भरोसा जताया.


धोनी के कप्तान बनने के बाद यह सवाल भी उठने लगे थे कि महज तीन साल पहले टीम इंडिया के लिए डेब्यू करने वाला यह खिलाड़ी कैसे भारत को खिताब दिलाएगा. हालांकि इसके बाद धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया की सफलता को पूरी दुनिया ने सलाम किया.


संकटमोचन बने गंभीर


बल्लेबाजों के लिए मुफीद जोहान्सबर्ग की पिच पर कप्तान धोनी ने पाकिस्तान के खिलाफ टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया. हालांकि धोनी की रणनीति उतना कारगर साबित नहीं हुई जितना की उन्हें उन्हें उम्मीद थी.


पाकिस्तानी गेंदबाजों ने भारतीय टीम को शुरुआती झटके देकर परेशानी में डाल दिया. यूसुफ पठान 15 रन, रॉबिन उथप्पा 8 रन, युवराज सिंह 14 और कप्तान धोनी 6 रन बनाकर आउट हो गए लेकिन ओपनर बल्लेबाज गौतम गंभीर ने एक छोर पड़ खुंटा गाड़कर पाकिस्तानी गेंदबाजों को डटकर सामना किया और 54 गेंद में 75 रनों की पारी खेली. इस पारी में गंभीर ने आठ चौके और दो छक्के भी लगाए.


गंभीर को मीडिल ऑर्डर में बल्लेबाजी करने उतरे रोहित शर्मा का भी अच्छा साथ मिला था. रोहित ने इस मुकाबले में 30 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेली थी जिसकी बदौलत ही भारतीय टीम पाकिस्तान को 158 रनों का चुनौतीपूर्ण लक्ष्य देने में कामयाब हुई.


इरफान पठान और आरपी सिंह ने गेंदबाजी में ढाया कहर


टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम ने पाकिस्तान को 158 रनों का लक्ष्य दिया था. अब बारी थी भारतीय गेंदबाजों की कि वह पाकिस्तान को इस लक्ष्य भीतर आउट करे. भारत के लिए इरफान पठान और आरपी सिंह शानदार गेंदबाजी की और 100 रन के भीतर ही पाकिस्तान के 6 बल्लेबाजों को पवेलियन वापस भेज दिया.


इस मुकाबले में इरफान पठान और आरपी सिंह ने तीन-तीन विकेट लिए. इन दोनों के अलावा जोगिंदर शर्मा को दो और एस श्रीसंत को एक सफलता हासिल हुई.


जोगिंदर शर्मा का आखिरी ओवर


क्रिकेट के इतिहास में कई रोमांचक मैच देखने को मिले हैं लेकिन भारत-पाकिस्तान के बीच टी-20 विश्व कप का फाइनल एक अलग लेवल पर पहुंच गया था. एक तरफ जहां भारतीय गेंदबाजों के आगे पाकिस्तान बल्लेबाज लगातार अपना विकेट गंवा रहे थे लेकिन पाकिस्तान मीडिल ऑर्डर बल्लेबाज मिसबाह उल हक ने संभलकर बल्लेबाजी करते हुए मैच को आखिरी ओवर में ला दिया.


यहां से मैच किसी भी पक्ष में जा सकता था. पाकिस्तान को जीत के लिए आखिरी ओवर में 13 रन की जरूरत थी जबकि भारतीय टीम को एक विकेट की.


सांसे रोक देने वाली इस आखिरी ओवर में कप्तान धोनी ने एक बड़ा दांव खेला. इरफान, आरपी और श्रीसंत जैसे अनुभवी गेंदबाजों को धोनी ने दरकिनार कर गेंद जोगिंदर शर्मा को थमाई. जोगिंदर इससे पहले शायद ही कभी इस तरह के दबाव की स्थिति में गेंदबाजी किए होंगे.


दबाव जोगिंदर शर्मा के चेहरे पर साफ दिख रही थी और हुआ भी यही और उन्होंने ओवर की पहली गेंद वाइड फेंकी. धोनी के साथ लंबी बातचीत के बाद जोगिंदर एक बार फिर से तैयार हुए और वह अगली गेंद पर मिसबाह को छकाने में कामयाब हुए लेकिन ओवर की दूसरी गेंद पर मिसबाह ने छक्का जड़कर भारतीय टीम की धड़कने रोक दी.


पाकिस्तान को अब जीतने के लिए तीन गेंद में छह रन की जरूरत थी. ओवर की तीसरी गेंद पर मिसबाह ने स्कूप शॉट खेला. इस शॉट को देखकर एक बार तो ऐसा लगा कि पाकिस्तान ने पहले टी-20 विश्व कप का खिताब भारत छीन लिया लेकिन मिसबाह के इस शॉट ने पाकिस्तान की सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया और वह श्रीसंत के हाथों लपके गए गए.


इस तरह जोगिंदर शर्मा के आखिरी ओवर में भारत को रोमांचक जीत मिली.