अपने समय के बेहतरीन फील्डरों में से एक मोहम्मद कैफ का मानना है कि टीम में जगह बनाने के लिए सिर्फ ‘यो-यो’ फिटनेस टेस्ट को पैमाना नहीं बनाया जाना चाहिए.
पिछले कुछ वर्षों से यो-यो टेस्ट में 16.1 अंक हासिल करने वाले खिलाड़ियों का भारतीय टीम में चयन होता है.
भुवनेश्वर के एकामरा खेल साहित्य महोत्सव के मौके पर आए कैफ ने कहा, ‘‘फिटनेस काफी अहम है क्योंकि उससे हमारी फील्डिंग अच्छी हुई है. लेकिन इस में ज्यादा संतुलित दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए.’’
अपने समय में टीम के सबसे फिट खिलाड़ियों में से एक रहे कैफ ने कहा, ‘‘अगर खिलाड़ी रन बना रहा है और विकेट ले रहा है तो सिर्फ यो-यो टेस्ट में नाकाम होने के कारण उसे टीम से बाहर नहीं किया जा सकता.’’
अंबाती रायुडू इसके सबसे ताजा उदाहरण है जिन्होंने आईपीएल में 600 से ज्यादा रन बनाने के बाद दो साल बाल राष्ट्रीय टीम में जगह पक्की की लेकिन यो-यो टेस्ट में नाकाम होने के कारण उन्हें टीम से बाहर होना पड़ा. इस फिटनेस टेस्ट में सफल होने के बाद हालांकि उन्हें एशिया कप की टीम में चुना गया.
कैफ ने कहा, ‘‘हमारे समय में ‘बीप’ नाम का फिटनेस टेस्ट होता था जिसमें यह पता किया जाता था कि टीम में कौन सा खिलाड़ी सबसे फिट है लेकिन इस टेस्ट में अच्छा नहीं करने वाले खिलाड़ियों को कभी टीम से बाहर नहीं किया गया. ऐसे खिलाड़ियों को यह बताया जाता था कि आपका फिटनेस स्तर अच्छा नहीं है और अगले कुछ महीने में उसे सुधार करना होगा.’’