Mithali Raj On Jhulan Goswami Retirement: भारत की सबसे सफल महिला क्रिकेटर और पूर्व कप्तान मिताली राज ने शनिवार को इंग्लैंड के खिलाफ अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच खेल रही तेज गेंदबाज झूलन गोस्वामी को लेकर बड़ा बयान दिया है. इसके अलावा मिताली ने झूलन से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा भी शेयर किया. 


जुलाई में क्रिकेट को अलविदा कहने वाली भारत की शानदार महिला बल्लेबाज मिताली राज ने महान तेज गेंदबाज झूलन का ‘पूर्व क्रिकेटरों के क्लब’ में स्वागत किया. झूलन अपना विदाई मैच इंग्लैंड के खिलाफ लार्ड्स पर शनिवार को खेल रही हैं.


दो दशक तक साथ में ‘ड्रेसिंग रूम’ शेयर करने वाली मिताली और झूलन ने भारत में महिला क्रिकेट के विकास को देखा है, दोनों यादगार जीत में साथी रही हैं और दोनों ने कुछ बुरी हार भी देखी हैं.


झूलन के अनंत प्रभाव, लंबे समय तक खेलने और इतने वर्षों के अथक परिश्रम पर न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए मिताली ने कहा, हम हमउम्र हैं, इसलिये हम दोनों काफी सहज रहते और हमारी बातचीत भी ऐसे ही होती. उनसे बात करना बहुत आसान रहता. वह हमेशा मैदान पर ऊर्जा से भरी रहती थीं, शायद इसलिये कि वह तेज गेंदबाज हैं.


'नेट पर मैं अकसर उनसे कहती, तुम गेंदबाजी में इतनी आग क्यों उगलती हो'


झूलन (39 वर्ष) अपने अथक समर्पण की बदौलत ही वनडे में सर्वाधिक विकेट चटकाने वाली गेंदबाज बनीं. हालांकि ‘स्विंग’ उनका सबसे बड़ा हथियार नहीं था, लेकिन अपनी सटीक गेंदबाजी और सीम के बखूबी इस्तेमाल से वह इतने सारे विकेट अपनी झोली में डालने में सफल रहीं.


मिताली ने याद करते हुए कहा कि नेट में भी उनका प्रतिस्पर्धी भाव दिखायी देता था. उन्होंने कहा, नेट पर मैं अकसर उनसे कहती, तुम गेंदबाजी में इतनी आग क्यों उगलती हो (आक्रामक गेंदबाजी करती हो), आखिर मैं तुम्हारी साथी ही हूं ना. फिर वह कहतीं, तुम्हें आउट करना सबसे मुश्किल है. वह हमेशा प्रतिस्पर्धी रहतीं, घरेलू क्रिकेट में भी, जिसमें भी हम अकसर एक दूसरे के खिलाफ खेलते थे. मुझे इस प्रतिद्वंद्विता में भी मजा आता था. 


एक तेज गेंदबाज से उम्मीद होती है कि वह बाहर से दिखने में सख्त हो लेकिन झूलन अंदर से बहुत नरम दिल की हैं. मिताली ने घरेलू क्रिकेट में एक मैच का वाकया बताया जिसमें झूलन का यह पक्ष दिखता है.


मिताली ने सुनाया झूलन से जुड़ा दिलचस्प किस्सा


मिताली ने कहा, हम सेमीफाइनल (रेलवे बनाम बंगाल) में खेल रहे थे. घरेलू सत्र में मैं हेलमेट नहीं ले जाती. झूलन मेरे सिर पर ही निशाना बनाये थी और मैंने उने कई बाउंसर छोड़ दिये थे. थोड़ी देर बाद वह मेरे पास आयीं और बोलीं, तुम हेलमेट क्यो नहीं पहन रहीं? मैंने कहा, मैं हेलमेट नहीं लायी तो कैसे पहनूंगी?’ वो भी मजेदार दिन थे. 


पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा कि प्रतिद्वंद्वी भी उनका पूरा सम्मान करते थे, विशेषकर जब वह अपने शिखर पर थीं. उन्होंने कहा, उनकी सटीक गेंदबाजी उन्हें सबसे अलग करती थी. वह स्विंग में इतनी अच्छी गेंदबाज नहीं थी, वह गेंद को अंदर बाहर कर सकती थीं. कटर गेंद उनकी ताकत थी. जब वह अपने शिखर पर थीं तो वह कभी भी ढीली गेंद नहीं फेंकती थीं.


मिताली और झूलन ने ऐसे समय में एक साथ खेलना शुरू किया था जब महिला क्रिकेट की काफी अनदेखी की जाती थी. लेकिन 2006 में बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट बोर्ड) के अंतर्गत आने के बाद इसमें बदलाव शुरू हुआ.


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