ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच में मयंक अग्रवाल ने भारत के लिए धमाकेदार डेब्यू किया. मयंक ने अपने डेब्यू टेस्ट मैच में अर्द्धशतकीय पारी खेलकर इसे हमेशा के लिए यादगार बना दिया. इस पारी के साथ ही मयंक दूसरे भारतीय बल्लेबाज बने हैं जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया की धरती पर डेब्यू करते हुए अर्द्धशतक लगाया है.
मयंक से पहले दत्तू फडकर ने साल 1947 में ऑस्ट्रेलिया की धरती पर डेब्यू मैच में 51 रनों की अर्द्धशतकीय पारी खेली थी.
तीसरे टेस्ट मैच के पहले दिन की समाप्ति पर मयंक अग्रवाल ने कहा कि एक साल से भारत के लिए डेब्यू करने का इंतजार कर रहे थे लेकिन जब उनका यह सपना हकीकत में बदला तो उन पर भावनाएं हावी होने लगी जिससे उन्हें अपने काम पर ध्यान लगाना मुश्किल हो गया था.
मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर डेब्यू टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 76 रन की प्रभावी पारी खेलने वाले अग्रवाल ने कहा, ‘‘भारत के लिए डेब्यू करना शानदार अहसास था. जब मुझे कैप मिली तो मुझ पर भावनाएं हावी थी. मैं अपने बाकी जीवन में इसे सहेजकर रखूंगा. ’’
मयंक अग्रवाल को भारतीय टेस्ट टीम का नंबर 295 था. हालंकि इस मौके पर भावनाएं हावी हो सकती हैं विशेषकर तब जब घरेलू क्रिकेट में ढेरों रन बनाए हों और भारत की ओर से डेब्यू का लंबे समय से इंतजार कर रहे हों.
अग्रवाल ने कहा, ‘‘भावनाओं को काबू में रखकर एकाग्रता बनाए रखना आसान नहीं था लेकिन ऐसा करने की जरूरत थी. मैं अपनी योजनाओं पर कायम रहा और स्वयं से कहता रहा, ‘मुझे एक योजना को लागू करना है और मैं इस पर कायम रहूंगा’. यह काफी बड़ा अवसर था और मैंने जैसी शुरुआत की उसकी खुशी है.’’
अग्रवाल को सीनियर खिलाड़ियों ने डेब्यू टेस्ट में छाप छोड़ने की शुभकामनाएं दी जिससे वह काफी खुश हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘यह बड़ा मंच और बड़ा मौका है. सीनियर खिलाड़ी मेरे पास आए और बोले कि जितना बड़ा दिन होता है, छाप छोड़ने का उतना ही बड़ा मौका भी होता है.’’
अग्रवाल टेस्ट डेब्यू में अर्द्धशतक जड़ने वाले सिर्फ सातवें भारतीय ओपनर बल्लेबाज हैं. उनका यह स्कोर ऑस्ट्रेलियाई सरजमीं पर टेस्ट डेब्यू करते हुए भारतीय बल्लेबाजों के बीच सर्वश्रेष्ठ स्कोर है.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं खुश हूं लेकिन बेशक मैं अधिक रन बनाना पसंद करता. मैं 76 रन से कम की जगह इतने ही रनों से निश्चित तौर पर संतुष्ट हूं. जैसा कि मैंने कहा मैं और अधिक रन बनाना और दिन के अंत तक नाबाद रहना पसंद करता.’’
अग्रवाल पिछले एक साल से लगातार भारतीय टीम में जगह बनाने की दौड़ में बने हुए थे और इस दौरान लगातार घरेलू मैचों और ए दौरों पर खेलते रहे जिससे लय बनी रही.
27 साल के ओपनर बल्लेबाज ने कहा, ‘‘जब मुझे वेस्टइंडीज के खिलाफ चुना गया तो मैं काफी खुश था. यह मेरे लिए बड़ा लम्हा था. इसके बाद चीजें मेरे हाथ में नहीं थी. मैं खेलूंगा या नहीं या मुझे चुना जाएगा या नहीं, यह मेरे हाथ में नहीं है.’’
अग्रवाल को अपने टेस्ट करियर का आगाज एमसीजी पर करने की खुशी है.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि जो भी हुआ और जो भी होगा, मैं काफी खास महसूस कर रहा हूं. मैं काफी भाग्यशाली हूं क्योंकि मैंने अपना डेब्यू एमसीजी में किया. हर खिलाड़ी को रणजी ट्रॉफी में रन बनाने होते हैं. मैंने भी यह किया और इसे लेकर मैं काफी खुश हूं.’’
अग्रवाल ने कहा, ‘‘मैंने काफी कुछ सीखा. जब आप पांच साल रणजी ट्रॉफी खेले हों और भारत के हर हिस्से में खेले हों तो आप इससे काफी कुछ सीखते हो. आपको अलग अलग स्थितियों का सामना करना होता है और यह हमेशा काफी सीखने वाला होता है.’’
एमसीजी की सपाट पिच पर असमान उछाल के बारे में पूछने पर अग्रवाल ने कहा, ‘‘मैं पिच के बारे में शिकायत नहीं करूंगा. मुझे लगता है कि यह बल्लेबाजी के लिए अच्छी थी. शुरू में गेंदबाजों को थोड़ी मदद मिल रही थी और पिच धीमी थी. लेकिन लंच के बाद यह थोड़ी तेज हो गई.’’
भारत ने पहले दिन 2.41 रन प्रति ओवर की गति से दो विकेट पर 215 रन बनाए लेकिन अग्रवाल ने इसका श्रेय घरेलू गेंदबाजों की कसी हुई गेंदबाजी को दिया.
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि उन्होंने शानदार गेंदबाजी की. उन्होंने काफी ढीली गेंद नहीं फेंकी, उन्होंने कसी हुई गेंदबाजी की और वे आक्रामक भी थे. इसलिए उन्होंने जिस तरह की गेंदबाजी की उसे देखते हुए मुझे लगता है कि हम अच्छा खेले.’’
अग्रवाल ने अपने सलामी जोड़ीदार हनुमा विहारी की भी तारीफ की जिन्होंने रन तो काफी नहीं बनाए लेकिन नई गेंद का सामना करते हुए 66 गेंद खेली.
उन्होंने कहा, ‘‘हनुमा विहारी अच्छा खिलाड़ी है. उसने रणजी ट्रॉफी में ढेरो रन बनाए हैं. उसने ‘ए’ टीम की ओर से रन बनाए हैं और तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए तिहरा शतक जड़ा है. वह काफी गेंद खेलने में सफल रहा जो अच्छा है.’’