नई दिल्ली: हाल ही में करियर के पहले ही टेस्ट मैच में तिहरा शतक लगाने वाले भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी करुण नायर ने आने वाले साल में क्रिकेट के तीनों प्रारूप में राष्ट्रीय टीम का प्रतिनिधित्व करने की इच्छा जताई है. 

 

एक इंटरव्यू में करुण ने बताया कि, "मैं अपने प्रदर्शन में सुधार के लिए कड़ी मेहनत कर रहा हूं, ताकि अगले साल मैं तीनों प्रारूपों में राष्ट्रीय टीम में जगह बना सकूं. मुझे तीनों प्रारूपों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का इंतजार है."

 

नायर टेस्ट करियर के पहले शतक के तौर पर तिहरा शतक लगाने वाले दुनिया के तीसरे और भारत के पहले बल्लेबाज बने. उन्होंने यह कारनामा इंग्लैंड के खिलाफ हाल ही में संपन्न हुई पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के आखिरी टेस्ट में किया. इसके अलावा, वह भारत की ओर से तिहरा शतक लगाने वाले विरेंद्र सहवाग के बाद दूसरे बल्लेबाज भी बने.

 

चेन्नई टेस्ट में तिहरा शतक लगाने के बारे में करुण ने कहा, "मेरा पहला लक्ष्य उस मैच में अपना शतक पूरा करना था. इसके बाद मेरा आत्मविश्वास और भी मजबूत होता गया और मैं बिना किसी दबाव के खेलने लगा."

 

चेन्नई टेस्ट में करुण के साथ कर्नाटक के साथी खिलाड़ी लोकेश राहुल ने भी शतक लगाया था और दोनों के बीच चौथे विकेट के लिए 161 रनों की साझेदारी भी हुई थी.

 

लोकेश के साथ शतकीय साझेदारी पर करुण ने कहा, "हां, उनके साथ खेलते हुए सहजता महसूस हुई. मैं और लोकेश बचपन से ही क्रिकेट साथ खेलते आ रहे हैं. उनके साथ से मुझे उस मुश्किल घड़ी में भी मदद मिली. उनके प्रदर्शन से टीम को भी काफी हद तक मदद मिली."

 

इसी साल अपने करियर की शुरुआत कर टेस्ट टीम में मजबूत दावेदारी पेश करने वाले करुण इससे पहले इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर, राजस्थान रॉयल्स और दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए खेल चुके हैं. करुण ने इसी साल 11 जून को जिम्बाब्वे के खिलाफ हरारे स्पोर्ट्स क्लब में अंतर्राष्ट्रीय वनडे करियर की शुरुआत की थी.

 

क्रिकेट में अब तक के सफर के बारे में करुण ने कहा, "अभी तक सब अच्छा चल रहा है. मैं भगवान का शुक्रगुजार हूं कि मुझे ये अवसर मिले और मैं अपने प्रदर्शन को बरकरार रखने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा हूं और अपने प्रदर्शन को बेहतर से बेहतर करने के लिए और भी कड़ी मेहनत करूंगा."

 

करुण की उपलब्धि पर भावुक उनके पिता ने कहा था कि क्रिकेट 10 साल की उम्र से ही करुण के खून में दौड़ रहा है. इस पर कर्नाटक के खिलाड़ी ने कहा, "मैंने 10 साल की उम्र से ही क्रिकेट का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था. मेरे पिता ने मुझे कोरमंगला क्रिकेट अकादमी में भेजा. यहीं से मेरे सफर की शुरुआत हुई."

 

करुण ने कहा कि उन्हें बचपन से ही क्रिकेट का शौक था. वह घंटों अपनी गली में क्रिकेट खेलते रहते थे और सारा दिन क्रिकेट मैच ही देखते थे. इसी जुनून को देखते हुए उनके माता-पिता ने उन पर विश्वास किया और उन्हें इसका प्रशिक्षण दिलाया.

 

उल्लेखनीय है कि इसी साल एक नौका हादसे में करुण की जान बाल-बाल बची थी. जून में जिम्बाब्वे के खिलाफ वनडे करियर का आगाज करने के बाद करुण अपने परिवार के साथ केरल के अरणमुलाला मंदिर में हर साल होने वाले 'वल्ला साड्या' महोत्सव में हिस्सा लेने जा रहे थे.

 

इसी दौरान केरल की पंपा नदी में नाव के अंदर नौका दावत का आयोजन हुआ था, लेकिन अचानक नाव पलट गई. इस नाव में उस वक्त करीब 100 लोग सवार थे. करुण भी इस नाव में सवार थे और उन्हें तैरना नहीं आता था. स्थानीय लोगों और बचाव दल ने उनकी जान बचाई.

 

बकौल करुण, "इस हादसे से उबरने में मुझे करीब एक माह का समय लगा. मैंने फैसला लिया कि अब इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचूंगा और जो नया जीवन मिला है, उसमें आगे बढ़ूंगा. इस सोच से मुझे एक नई ताकत मिली और मैं कहीं मजबूत खिलाड़ी के तौर पर उभरा."

 

पूर्व भारतीय बल्लेबाज राहुल द्रविड़ का भारतीय क्रिकेट टीम को करुण नायर और जयंत यादव जैसे शानदार खिलाड़ी देने में खास योगदान रहा है. द्रविड़ फिलहाल इंडिया-ए और अंडर-19 टीम के मुख्य कोच हैं और ये दोनों खिलाड़ी इस मंच पर खेल चुके हैं.

 

द्रविड़ के नेतृत्व के बारे में करुण ने कहा, "द्रविड़ हमेशा मेरे बड़े मददगार रहे हैं. उन्होंने हर स्थिति में मेरा साथ दिया है, फिर चाहे वो आईपीएल में खेलने की बात हो या भारतीय टीम में. वह ऐसे इंसान हैं, जिनके साथ मैं अपनी हर समस्या के बारे में चर्चा कर सकता हूं."

 

तिहरा शतक लगाने के बाद जीवन में आए बदलावों के बारे में करुण ने कहा, "सच कहूं तो मेरे जीवन में अधिक बदलाव नहीं आया है, केवल अधिक से अधिक लोगों ने जानना शुरू कर दिया है."