भारतीय क्रिकेट के इतिहास के सबसे बड़े सितारे महेंद्र सिंह धोनी आज 40 साल के हो गए हैं. भारतीय क्रिकेट को आसमान की बुलंदियों तक पहुंचाने में धोनी का अहम रोल रहा है. वह आईसीसी की सभी ट्रॉफी जीतने वाले दुनिया के इकलौते कप्तान हैं. खेल के प्रति उनके नजरिए ने उन्हें दूसरों से एकदम अलग रखा. आज माही के जन्मदिन पर जानिए कि इंटरनेशनल क्रिकेट में उनका सफर कैसा रहा.  


गांगुली ने दिया था धोनी को पहला मौका 


07 जुलाई, 1981 को रांची में जन्में महेंद्र सिंह धोनी ने घरेलू क्रिकेट में अपने शानदार प्रदर्शन की बदौलत साल 2000 में ही टीम इंडिया के दरवाज़े पर दस्तक दे दी थी. लेकिन लगातार अच्छे प्रदर्शन के बाद भी धोनी को भारतीय टीम से बुलावा नहीं मिल रहा था. लेकिन इस बीच टीम इंडिया में कोई स्थाई विकेटकीपर नहीं था. ऐसे में धोनी ने हिम्मत नहीं हारी और वह लगातार संघर्ष करते रहे. कई विकेटकीपर्स के विफल होने पर राहुल द्रविड़ को यह जिम्मेदारी सौंप दी गई, लेकिन अहम मौको पर राहुल को कामचलाऊ विकेटकीपर होना टीम के लिए नुकसानदायक साबित होता था. ऐसे में साल 2004 के अंत में बांग्लादेश दौरे पर उस समय के भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने धोनी का पहला मौका दिया. बांग्लादेश दौरे पर धोनी को टीम इंडिया के लिए चुना गया और उन्हें भारत के लिए अपना पहला मैच खेलने का भी मौका भी मिला. हालांकि, डेब्यू मैच में धोनी कुछ खास कमाल नहीं कर सके और शून्य पर रनआउट हो गए. 


हमेशा धोनी के समर्थन में रहे दादा


कहते हैं कि हीरे की परख जौहरी को ही होती है. ऐसे ही सौरव गांगुली ने भी धोनी की प्रतिभा को पहचान लिया था. बस अब उसे तराशने और उसपर विश्वास दिखाने की ज़रूरत थी. दादा ने भी ऐसा ही किया. बांग्लादेश के बुरे दौरे के बाद भी उन्होंने 2005 में पाकिस्तान के खिलाफ माही को बतौर विकेटकीपर टीम में चुना. इस बार धोनी ने अपने कप्तान को निराश नहीं किया और विशाखापट्टनम में 148 रनों की धमाकेदार पारी खेली. इसके कुछ समय बाद माही ने श्रीलंका के खिलाफ 183 रनों की मैच जिताऊ पारी खेलकर विश्व क्रिकेट को अपने हुनर दिखाया. 


वनडे क्रिकेट में दुनिया के नंबर वन बल्लेबाज़ बन गए धोनी 


देखते ही देखते धोनी विश्व क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ बन गए. धोनी वनडे क्रिकेट की अपनी सिर्फ 34 पारियों में ही आईसीसी वनडे रैंकिंग में पहला स्थान हासिल किया. उनसे पहले और अब तक कोई खिलाड़ी यह कारनामा नहीं कर सका है. पाकिस्तान, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ निरंतरता के साथ प्रदर्शन करके उन्होंने भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की कर ली. इसके बाद माही तीनों फॉर्मेट में टीम के भरोसेमंद खिलाड़ी बन गए. 


2007 में मिली कप्तानी 


2007 वनडे विश्व कप में भारत का प्रदर्शन बेहद खराब रहा. यहां तक उसे बांग्लादेश के खिलाफ भी हार झेलनी पड़ी. इसके बाद बीसीसीआई ने बड़ा फैसला लेते हुए माही को कप्तानी सौंप दी. 2007 टी20 विश्व कप में धोनी को टीम इंडिया का नेतृत्व करने का मौका मिला. अपने सटीक फैसले और इस खेल को समझने की उनकी पैनी नज़र ने भारत को विश्व चैंपियन बना दिया. 


28 साल बाद भारत ने जीता विश्व कप 


साल 2011 में वह पल आया, जब धोनी हर भारतवासी के दिल में बस गए. उन्होंने भारत को 2011 वनडे विश्व कप जिताया और इस तरह 28 साल बाद टीम इंडिया एक बार फिर चैंपियन बन गई. अब तक धोनी आईसीसी टी20 और आईसीसी वनडे विश्व कप जीतने वाले दुनिया के पहले कप्तान बन गए थे. 


2013 में जीती चैंपियन ट्रॉफी 


2013 में इंग्लैंड में चैंपियन ट्रॉफी का आयोजन हुआ. इस बार भी धोनी ने अपने सटीक फैसलों और बेहतरीन रणनीतियों के दम पर भारत को खिताब जिता दिया. इसके बाद धोनी आईसीसी की सभी ट्रॉफी जीतने वाले दुनिया के इकलौते कप्तान बन गए. 


2014 में टेस्ट क्रिकेट को कहा अलविदा 


भारत के लिए 90 टेस्ट में 38.09 की औसत से 4876 रन बनाने के बाद माही ने साल 2014 में टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया. धोनी ने टेस्ट क्रिकेट में एक दोहरा शतक, छह शतक और 33 अर्धशतक लगाए. टेस्ट क्रिकेट में उनका सर्वाधिक स्कोर 224 रहा. 


2019 में खेला आखिरी इंटरनेशनल मैच 


टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद साल 2017 में धोनी ने वनडे और टी20 इंटरनेशनल में कप्तानी छोड़ने का फैसला किया. वहीं 2019 वनडे विश्व कप के दौरान 09 जुलाई, 2019 को न्यूजीलैंड के खिलाफ माही ने अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच खेला. इसके बाद 15 अगस्त, 2020 को महेंद्र सिंह धोनी ने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया.