AI से नकल में उस्ताद निकले साइकोपैथ स्टूडेंट्स! नई स्टडी ने खोली चौंकाने वाली सच्चाई
रिसर्च में आर्ट से जुड़े छह विश्वविद्यालयों के स्टूडेंट्स को शामिल किया गया, जिसमें पेंटिंग, म्यूज़िक, थिएटर और डांस के विद्यार्थी थे. इन छात्रों की मानसिक प्रवृत्तियों का विश्लेषण किया गया, और यह पाया गया कि जिनका स्कोर 'डार्क ट्रायड' लक्षणों में ज्यादा था, वे ChatGPT और Midjourney जैसे टूल्स से नकल करते पाए गए. उन्होंने अपने प्रोजेक्ट्स और असाइनमेंट्स को AI से तैयार करवा कर खुद का बताया, जो शिक्षा की नैतिकता पर बड़ा सवाल है.
सिर्फ मानसिक लक्षण ही नहीं, इन छात्रों में ग्रेड्स को लेकर चिंता और काम को आखिरी वक्त तक टालने की आदत भी देखी गई. यही कारण रहा कि उन्होंने AI को एक आसान रास्ते के तौर पर अपनाया. अध्ययन बताता है कि जब छात्रों पर रिजल्ट का दबाव होता है या मेहनत से बचना होता है, तो वे टेक्नोलॉजी का गलत फायदा उठाने से नहीं चूकते.
स्टडी में ये भी देखा गया कि जिन छात्रों की सोच पुरस्कार, शोहरत और भौतिक सफलता पाने पर केंद्रित थी, वे AI का दुरुपयोग ज्यादा करते हैं. मतलब सिर्फ व्यक्तित्व नहीं, बल्कि प्रेरणा और लालच भी इस व्यवहार के पीछे बड़ी वजह हैं. जब मकसद सिर्फ मार्क्स और पहचान बनाना हो, तो शॉर्टकट अपनाना आसान हो जाता है खासकर जब वो टेक्नोलॉजी के ज़रिए मिल रहा हो.
इस शोध के लेखक जिनयी सॉन्ग (Chodang University) और शुयान लियू (Baekseok University) का कहना है कि विश्वविद्यालयों को असाइनमेंट की डिज़ाइन और AI के इस्तेमाल को लेकर अपनी रणनीतियाँ दोबारा सोचनी होंगी. उन्हें नकल से बचाने वाले टास्क तैयार करने चाहिए, AI के सही और गलत इस्तेमाल को लेकर जागरूकता फैलानी चाहिए और स्पष्ट नियम तय करने होंगे.
ये स्टडी AI और शिक्षा के रिश्ते को लेकर चल रही वैश्विक बहस में नया दृष्टिकोण जोड़ती है. जहां एक तरफ AI छात्रों के लिए सीखने का ज़रिया है, वहीं दूसरी ओर यह नैतिक चुनौतियां भी खड़ी कर रहा है. ऐसे में जरूरी है कि तकनीक का इस्तेमाल ईमानदारी और ज़िम्मेदारी के साथ हो क्लासरूम में भी और जिंदगी में भी.