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क्या Smart TV चुपके से सुन रहा है आपकी बातें? ये सेटिंग अभी बंद नहीं की तो पड़ सकता है पछताना

एबीपी टेक डेस्क   |  24 Nov 2025 12:43 PM (IST)
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कई बड़ी कंपनियां अपने स्मार्ट टीवी में माइक्रोफोन, वॉइस असिस्टेंट और ट्रैकिंग सिस्टम जोड़ती हैं जिनका दावा होता है कि ये फीचर देखने का अनुभव बेहतर बनाते हैं. लेकिन इन्हीं के जरिए टीवी आपके घर के माहौल तक की जानकारी हासिल कर सकता है.

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अगर टीवी में वॉइस कमांड या हमेशा ऑन रहने वाला माइक्रोफोन मौजूद हो तो यह बैकग्राउंड की आवाज़ों तक को कैप्चर कर सकता है. कई बार ये ऑडियो क्लिप कंपनी के सर्वर पर भेजे जाते हैं ताकि वॉइस रिकग्निशन सिस्टम को सुधार सकें. यही नहीं, स्मार्ट टीवी आपकी वॉचिंग हिस्ट्री, इंस्टॉल किए गए ऐप्स, आईपी एड्रेस, लोकेशन जैसी कई जानकारियां भी इकट्ठी करता है जिन्हें आगे डेटा एनालिटिक्स या विज्ञापन कंपनियों के साथ साझा किया जाता है.

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इसी बीच सबसे बड़ा खतरा ACR यानी ऑटोमैटिक कंटेंट रिकग्निशन से पैदा होता है. यह तकनीक टीवी स्क्रीन पर चल रहे हर कंटेंट को स्कैन करती है चाहे वीडियो OTT से हो, केबल टीवी से, YouTube से या किसी पेन ड्राइव से. ACR यह भी पता लगा सकता है कि आप कौन-सा कंटेंट कब देख रहे हैं और साथ ही टीवी का आईपी एड्रेस और लोकेशन भी कैप्चर कर लेता है. हाल ही में इसी मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने भी चेतावनी जारी की है.

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कंपनियां दावा करती हैं कि यूज़र डेटा सिर्फ बेहतर सुझाव देने के लिए इस्तेमाल होता है लेकिन सच यह है कि इस डेटा से विस्तृत डिजिटल प्रोफाइल तैयार किए जाते हैं जिन्हें विज्ञापन लक्ष्य करने के लिए उपयोग किया जाता है. कई बार आपका टीवी डेटा, मोबाइल और लैपटॉप के यूज़ पैटर्न से जोड़कर आपकी पूरी डिजिटल पहचान बना ली जाती है.

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अगर आप अपनी प्राइवेसी को लेकर सचेत रहना चाहते हैं तो स्मार्ट टीवी की कुछ सेटिंग्स तुरंत बदलनी चाहिए. वॉइस कंट्रोल और वॉइस असिस्टेंट को बंद रखना सबसे पहला कदम है. साथ ही ACR और पर्सनलाइजेशन फीचर को ऑफ कर देना चाहिए.

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अगर ज़रूरत न हो तो टीवी को हमेशा वाई-फाई से कनेक्ट न रखें और संभव हो तो अलग गेस्ट नेटवर्क इस्तेमाल करें. माइक्रोफोन या कैमरा पर कवर लगाना भी सुरक्षित उपाय है. समय-समय पर प्राइवेसी सेटिंग्स की जांच और सॉफ्टवेयर अपडेट करना भी बेहद ज़रूरी है.

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