किस देश ने शुरू किया रोबोट सोल्जर्स का मिशन, आखिर इससे कैसे लड़ेंगे इंसान?
जब दुनिया अपनी सेना को आधुनिक हथियारों से लैस करने में लगी है, उसी बीच चीन ने एक ऐसा कदम उठा लिया है जिसने वैश्विक रणनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. चीन, जो पिछले कई दशकों से दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश था, अब जनसंख्या घटने की समस्या से जूझ रहा है.
आंकड़े बताते हैं कि 2022 के बाद से चीन की आबादी लगातार कम हो रही है और 2024 में इसमें 1.39 मिलियन की गिरावट दर्ज की गई है. सेना और फैक्ट्रियों में मानव श्रमिकों की कमी ने चीन को एक बड़े बदलाव की ओर धकेला और वह है रोबोट सोल्जर्स का निर्माण.
2024 में चीन ने रिकॉर्ड 2,95,000 औद्योगिक रोबोट इंस्टॉल किए, जो दुनिया भर में लगे नए रोबोटों की कुल संख्या का 50% से भी ज्यादा है. इस तरह चीन के कारखानों, लैब्स और सैन्य यूनिट्स में अब 3 लाख से ऊपर की रोबोटिक फोर्स मौजूद है.
ये रोबोट सिर्फ औद्योगिक उत्पादन ही नहीं, बल्कि 24x7 चलने वाली मिलिट्री-लेवल टेस्टिंग में भी इस्तेमाल हो रहे हैं. इनका मकसद एक है, इंसानी कमजोरी, थकान और जनसंख्या संकट का विकल्प तैयार करना.
चीन ने अपनी 14वीं पंचवर्षीय योजना (2021-2025) में रोबोटिक्स को राज्य की सबसे अहम प्राथमिकताओं में शामिल किया है. सरकार का लक्ष्य है कि 2050 तक रोबोटिक्स बाजार $7 ट्रिलियन तक पहुंच जाए, जो दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बराबर है.
यही वजह है कि चीन की कंपनियों ने तेजी से प्रगति की है. Unitree Robotics जैसी कंपनियां ह्यूमनॉइड रोबोट सिर्फ $16,000 में बेच रही हैं, जो पश्चिमी रोबोट से 10 गुना सस्ते हैं. इतना सस्ता और स्केलेबल होना ही चीन की रोबोट आर्मी को खतरनाक रूप से सक्षम बना रहा है.
चीन के रोबोट सिर्फ मशीनें नहीं होंगे, बल्कि पूरी तरह AI-संचालित युद्ध सिस्टम होंगे. ये खुद से निर्णय ले सकेंगे, स्थिति समझ सकेंगे और बिना रुके लड़ सकेंगे. चीन ने 'रोबोट डॉग' जैसी मशीनें पहले ही तैनात कर दी हैं, जो दुर्गम इलाकों में हमला, निगरानी और गश्त कर सकती हैं.