बच्चा हर वक्त फोन में घुसा रहता है? बस आज से अपनाएं ये 5 टिप्स, स्क्रीन टाइम हो जाएगा आधा
बच्चों को डिजिटल डिवाइसेज़ से अलग करना आसान नहीं होता, लेकिन थोड़ी समझदारी और प्यार से ये काम मुमकिन है. सबसे पहले जरूरी है कि पेरेंट्स खुद एक अच्छा उदाहरण पेश करें.
जब बच्चा देखता है कि उसके माता-पिता भी फोन कम इस्तेमाल करते हैं और उनके साथ वक्त बिताना पसंद करते हैं तो वह खुद भी धीरे-धीरे इस आदत से दूर होने लगता है. इसलिए बच्चों के सामने मोबाइल चलाने से बचें और उनके साथ खेलने, बात करने या कोई रचनात्मक गतिविधि करने में समय बिताएं.
कई बार पेरेंट्स बच्चे को खाना खिलाने या शांत रखने के लिए फोन थमा देते हैं. ये तरीका अस्थायी राहत तो देता है, लेकिन बच्चे के मन में स्क्रीन के प्रति निर्भरता बढ़ा देता है. कोशिश करें कि बच्चे को मनोरंजन के दूसरे तरीके सिखाएं—जैसे आउटडोर गेम्स, पेंटिंग, म्यूजिक या स्पोर्ट्स एक्टिविटीज़. इससे न सिर्फ उनका ध्यान मोबाइल से हटेगा, बल्कि उनका आत्मविश्वास और शारीरिक स्वास्थ्य भी बेहतर होगा.
इसके अलावा फोन को इनाम या सजा के तौर पर इस्तेमाल करना बंद करें. खाना खा लिया तो फोन मिलेगा जैसी शर्तें बच्चों को और ज्यादा स्क्रीन की ओर खींचती हैं. इसकी जगह उनके अच्छे व्यवहार की सराहना बातचीत, कहानी सुनाने या साथ घूमने से करें.
जब आप घर में स्क्रीन टाइम के लिए एक निश्चित नियम तय करते हैं जैसे दिन में सिर्फ दो घंटे—तो बच्चे भी इस रूटीन को समझने लगते हैं. धैर्य और लगातार ध्यान से धीरे-धीरे ये आदत बदल सकती है. याद रखें, बच्चों को मोबाइल से दूर करने का सबसे असरदार तरीका यही है कि उन्हें यह एहसास दिलाया जाए कि असली मजा स्क्रीन के बाहर की दुनिया में है.