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क्या आने वाला है AI का युग? एक्सपर्ट्स बोले, वो दिन दूर नहीं जब इंसान और मशीन में फर्क करना मुश्किल होगा

एबीपी टेक डेस्क   |  11 Nov 2025 03:29 PM (IST)
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वहीं कुछ एक्सपर्ट्स का कहना था कि ये सवाल ही गलत है क्योंकि इंसान और मशीन की सोच को बराबर नहीं तौला जा सकता. इस बहस में जियोफ्री हिंटन, यान लेकुन, फेई-फेई ली, जेन्सन हुआंग, योशुआ बेंजियो और बिल डैली जैसे नामी AI वैज्ञानिक शामिल थे जो 2025 के क्वीन एलिजाबेथ इंजीनियरिंग अवॉर्ड के विजेता भी हैं.

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जियोफ्री हिंटन जिन्हें AI का गॉडफादर कहा जाता है, ने कहा कि आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI) यानी इंसानों जैसी सोच वाली मशीनें आने में 20 साल से भी कम वक्त लगेगा. उनका कहना था कि जब कंप्यूटर से बहस की जाएगी, तो वो इंसान को हरा देगा. हिंटन ने बताया कि 1984 में उन्होंने सिर्फ 100 उदाहरणों वाला छोटा मॉडल बनाया था लेकिन तब डेटा और कंप्यूटिंग की शक्ति सीमित थी. अब दोनों प्रचुर मात्रा में हैं इसलिए भविष्य बहुत करीब है.

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दूसरी ओर, योशुआ बेंजियो का मानना है कि AI की क्षमता पिछले कुछ वर्षों में बहुत तेजी से बढ़ी है और अगर यही रफ्तार जारी रही तो अगले पांच सालों में मशीनें इंसानी कर्मचारियों जितना काम करने लगेंगी. हालांकि उन्होंने चेतावनी भी दी कि भविष्य को लेकर बहुत निश्चित बातें करना जोखिम भरा है क्योंकि टेक्नोलॉजी का रास्ता कभी सीधा नहीं होता.

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यान लेकुन, जो Meta के प्रमुख AI वैज्ञानिक हैं, ने थोड़ा अलग दृष्टिकोण रखा. उन्होंने कहा कि AI का विकास किसी एक झटके में नहीं, बल्कि धीरे-धीरे होगा. अगले 5 से 10 साल में नए तरीके और मॉडल सामने आएंगे लेकिन इंसानी स्तर की समझ पाने में अभी लंबा समय लगेगा. उनके मुताबिक, अभी तो AI बिल्ली जितना भी समझदार नहीं है.

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वहीं, फेई-फेई ली ने साफ कहा कि इंसानी दिमाग और AI का मकसद अलग-अलग है. कुछ कामों में जैसे वस्तुओं की पहचान या भाषाओं के अनुवाद में AI इंसान से आगे है लेकिन जब बात अनुभव और संवेदना की आती है तो मशीनें पीछे रह जाती हैं. इंसान दुनिया को महसूस करता है जबकि AI सिर्फ प्रोसेस करता है.

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चर्चा के दौरान यह सवाल भी उठा कि कहीं AI का ये उभार सिर्फ एक बुलबुला तो नहीं? इस पर जेन्सन हुआंग ने कहा कि जैसे डॉटकॉम युग में इंटरनेट की बुनियाद तैयार हुई थी, वैसे ही आज AI की नींव रखी जा रही है.

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उनका कहना था कि अब हर GPU का इस्तेमाल हो रहा है और यह टेक्नोलॉजी वास्तविक काम कर रही है. हालांकि, लेकुन का मत था कि सिर्फ LLM (लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स) से इंसानी बुद्धि नहीं आएगी असली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत अभी बाकी है.

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