ब्रिटेन का F-35B भारत के रडार में फंसा? क्या दुनिया का सबसे आधुनिक जेट हमारी इस तकनीक के सामने बेबस हो गया? जानिए पूरा मामला
मिलिट्री टर्म्स में जब कोई रडार किसी उड़ते लक्ष्य को लगातार ट्रैक करता है तो इसे “रडार लॉक” कहा जाता है. इसमें रडार विमान की गति, दिशा और पोजिशन पर लगातार नजर बनाए रखता है.
लॉक दो तरह के होते हैं पहला सॉफ्ट लॉक, जिसमें सिर्फ निगरानी की जाती है और दूसरा हार्ड लॉक, जहां रडार डेटा को मिसाइल गाइडेंस के लिए भेजता है. अगर रडार ने F-35B को हार्ड लॉक किया होता तो पायलट के पास तुरंत अलर्ट पहुंचता और सुरक्षा कारणों से उसे लैंड करना पड़ता.
भारतीय रडार टेक्नोलॉजी जैसे कि DRDO का 'अश्विन' या रूस से मिले S-400 सिस्टम आज इतने सक्षम हैं कि स्टील्थ विमानों की मौजूदगी भी भांप सकते हैं. ऐसे में ये कयास लगाए जा रहे हैं कि भारत की तीसरी आंख से F-35B नहीं बच पाया.
ब्रिटिश अधिकारियों की मानें तो उन्होंने खुद ही भारत से इमरजेंसी लैंडिंग की अनुमति मांगी थी क्योंकि विमान में तकनीकी खामी पाई गई थी. यह भी कहा गया कि जेट को ठीक करने के लिए तिरुवनंतपुरम के पास आवश्यक सुविधाएं नहीं थीं इसलिए अब उसे खोलकर (dismantle कर) शिप के जरिये वापस भेजा जाएगा. भारत ने हालांकि विमान को अपने हैंगर में ठीक करने का विकल्प दिया था, लेकिन ब्रिटेन ने यह प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया.
हालांकि, दोनों देशों की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई कि F-35B को वास्तव में भारत के रडार ने लॉक किया था या नहीं. लेकिन यह घटना तकनीकी ताकत और अंतरराष्ट्रीय सैन्य संबंधों के लिहाज से बेहद दिलचस्प है.
भारत की तेज़ी से उभरती रडार और ट्रैकिंग क्षमताओं ने यह संकेत जरूर दिया है कि वह अब दुनिया के सबसे एडवांस सिस्टम्स को चुनौती देने की स्थिति में आ गया है.