Nag Chandreshwar Temple: उज्जैन का नाग चंद्रेश्वर मंदिर, जहां तक्षक नाग की छाया में रहते हैं भोलेनाथ और पार्वती
Nag Chandreshwar Temple History: हिंदू धर्म और संस्कृति में सर्पों का विशेष महत्व है. ना सिर्फ सर्पों और नागों की पूजा की जाती है बल्कि खुद भगवान भोलेनाथ अपने गले में वासुकी नाग को धारण करते हैं. वहीं भगवान विष्णु की शैय्या ही शेषनाग हैं. देश में नागों को देवताओं के तुल्य मानकर पूजा की जाती है. ऐसे में उत्तर और दक्षिण भारत में नागपंचमी का खासा महत्व है और इस दिन विशेष पूजा की जाती है. दक्षिण भारत में इस त्योहार को नागल चैथली के नाम से मनाया जाता है. आज आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जहां के बारे में मान्यता है कि यहां दर्शन करने भर से कालसर्प दोष समेत तमाम दोषों का निवारण हो जाता है.
महाकाल की नगरी उज्जैन भोले के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है. शिव का धाम या महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर हर साल ब़ड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं. वहीं इस शहर में एक और मंदिर ऐसा है जहां सावन में नागपंचमी के त्योहार पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.
यहां नाग देवता का आशीर्वाद पाने के लिए श्रद्धालु पूजा अर्चना और दर्शन करते हैं. मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से ही कालसर्प दोष का निवारण हो जाता है. नाग चंद्रेश्वर मंदिर में भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की प्रतिमा मौजूद है. ये प्रतिमाएं तक्षक नाग की छाया में रहती हैं.
इस मंदिर को लेकर भक्तों में बड़ी मान्यता है. पौराणिक कथाओं की मानें तो यहां पर तक्षक नाग ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी और अमरता हासिल की थी. तभी से वो यहां पर भगवान शिव और पार्वती तक्षक नाग की छाया में रहते हैं.
ये मंदिर उज्जैन के महाकाल मंदिर के ऊपरी हिस्से में है जो साल में सिर्फ एक बार नाग पंचमी के त्योहार पर ही भक्तों के लिए खोला जाता है. माना जाता है कि इस दिन नाग तक्षक खुद मंदिर में आकर भक्तों को आशीर्वाद देते हैं.