उज्जैन में भगवान महाकाल को रोज लगाई जा रही है हल्दी, महाशिवरात्रि से पहले जानिए इस परंपरा की मान्यता
यह सिलसिला महाशिवरात्रि के 9 दिन पहले से शुरू हो जाता है. दरअसल भगवान महाकाल को दूल्हे के रूप में पूजा जा रहा है.
देश भर के माता मंदिरों में छोटी और बड़ी नवरात्रि मनाई जाती है लेकिन भगवान महाकाल के दरबार में शिव नवरात्रि मनाई जाती है. यह परंपरा अनादि काल से चली आ रही है.
महाशिवरात्रि के 9 दिन पहले से भगवान महाकाल को दूल्हा बनाने का सिलसिला शुरू हो जाता है.
इस दौरान सुबह भस्म आरती से लेकर भोग आरती तक भगवान महाकाल के स्नान के दौरान उन्हें हल्दी लगाई जाती है. भगवान महाकाल को दूल्हे के रूप में पूजा जाता है.
महाकालेश्वर मंदिर के आशीष पुजारी बताते हैं कि जब भगवान को दूल्हा बनाया जाता है और माता पार्वती से उनके विवाह की तैयारी होती है तो इस दौरान श्रद्धालु भी विवाह के उत्सव में झूमते हैं. महाकालेश्वर मंदिर में रोज श्रद्धालु मंगल गीत गाते हैं.
महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी महेश गुरु बताते हैं कि वैसे तो भगवान महाकाल रोज निरंकार रूप से साकार रूप धारण करते हैं, मगर शिव नवरात्रि के दौरान भगवान महाकाल को वस्त्र पहने जाते हैं.
इस दौरान उनका भांग, सूखे मेवे और अबीर,कंकू, गुलाल से श्रृंगार किया जाता है. इसके अलावा भगवान को इत्र भी लगाया जाता है. यह परंपरा सतत महाशिवरात्रि तक चलती है.