दिल्ली में जीवंत हुई त्रेता युग की रामलीला, राक्षस वध और राम जन्म का अद्भुत मंचन
यूं तो दिल्ली समेत देश भर में कई स्थानों पर रामलीला का आयोजन किया जाता है, लेकिन दिल्ली के नव श्री धार्मिक लीला कमेटी द्वारा आयोजित भव्य रामलीला मंचन ने मंगलवार की शाम को दर्शकों को ऐसा अद्भुत अनुभव कराया मानो वे स्वयं त्रेतायुग के जीवंत प्रसंगों का साक्षात् अनुभव कर रहे हों.
मंचन की शुरुआत राक्षस उत्पात के दृश्य से हुई. इसमें आसुरी शक्तियों द्वारा पृथ्वी पर किए जा रहे अत्याचार का सशक्त चित्रण किया गया. इस प्रसंग ने दर्शकों को त्राहि-त्राहि करती धरती की वेदना और उस समय की भयावह परिस्थितियों का आभास कराया.
इसके उपरांत मंच पर देवताओं की भगवान विष्णु से की गई हृदयस्पर्शी प्रार्थना का प्रदर्शन हुआ. देवताओं ने प्रभु से अवतार लेने और राक्षसों के विनाश का आग्रह किया. इस प्रसंग ने रामावतार के उद्देश्य को और भी सजीव बना दिया.
दर्शकों ने अयोध्या में प्रभु श्रीराम के दिव्य जन्म का अनुपम दृश्य देखा. मंच पर भगवान शिव स्वयं प्रकट होकर बालक रूप श्रीराम का दर्शन करते हैं. इसके बाद नामकरण संस्कार का भावपूर्ण मंचन किया गया, जिसमें उपस्थित श्रद्धालुओं को भक्ति रस में डुबो दिया.
कथा को आगे बढ़ाते हुए श्रीराम के गुरुकुल प्रस्थान और ऋषि विश्वामित्र द्वारा यज्ञ की रक्षा हेतु राम-लक्ष्मण को मांगने का प्रसंग मंचित हुआ. यह दृश्य मार्मिक होने के साथ प्रेरणादायक भी रहा.
गुरुकुल से यज्ञ भूमि की यात्रा के दौरान ताड़का, मारीच और सुबाहु वध का रोमांचक मंचन हुआ. वीरता और पराक्रम से भरे इस दृश्य ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया और मंच पर उत्साह की लहर दौड़ गई. दिन का अंतिम और अत्यंत रोचक प्रसंग रहा रावण का प्रथम साक्षात्कार. इस दृश्य ने कथा में रहस्य और रोमांच का नया रंग भरा और दर्शकों की जिज्ञासा को और बढ़ा दिया.
भव्य मंच सज्जा, प्रकाश और ध्वनि का अद्भुत संयोजन तथा कलाकारों का प्रभावशाली अभिनय दर्शकों को त्रेता युग की अनुभूति करता रहा. समिति के प्रधान हरि चंद अग्रवाल ने बताया कि आगामी दिनों में रामलीला और भी रोचक एवं दिव्य रूप में प्रस्तुत की जाएगी.