दिल्ली का घुट रहा दम, AQI 309, कल और भी खराब हो सकते हैं हालात, तस्वीरों में देखें आज का हाल
दिल्ली में प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों के कारण सोमवार को भी वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' दर्ज की गई. रविवार को राजधानी में इस साल 17 मई के बाद पहली बार वायु गुणवत्ता का स्तर 'बहुत खराब' दर्ज किया गया था.
राजधानी में पिछले 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई)सोमवार को 309 पर पहुंच गया, जो रविवार को 313 था. सफर ने मंगलवार के लिए आसार जताए हैं कि अगले 24 घंटे में दिल्ली में एक्यूआई 320 तक पहुंच सकता है.
दिल्ली में 17 मई को वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' दर्ज की गई थी. 17 मई को एक्यूआई 336 रहा था. दिल्ली के लगभग सभी इलाकों में वायु गुणवत्ता रविवार को 'बहुत खराब' श्रेणी में रही.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, फरीदाबाद में एक्यूआई 322, गाजियाबाद में 246, ग्रेटर नोएडा में 354, गुरुग्राम में 255 और नोएडा में 304 एक्यूआई दर्ज की गयी.
भारत मौसम विज्ञान विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आने वाले कुछ दिनों में भी दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता बहुत खराब रहेगी, जिसकी वजह तापमान में कमी और पराली जलाने से होने वाला उत्सर्जन है.
एक अधिकारी ने कहा कि हवा की गति धीमी है और पिछले दो वर्षों के विपरीत अक्टूबर में कम बारिश हुई है.
केंद्र सरकार के डिसीजन सपोर्ट सिस्टम फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (डीएसएस) ने सोमवार से पराली जलाए जाने की गतिविधियों में वृद्धि की आशंका जताई है.
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय केंद्र सरकार की प्रदूषण नियंत्रण योजना के तहत उपायों के कार्यान्वयन को लेकर सोमवार को संबंधित विभागों के साथ होने वाली एक बैठक की अध्यक्षता करेंगे.
सीएक्यूएम ने प्रदूषण में वृद्धि की आशंका के बीच शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के प्राधिकारियों को निजी परिवहन को हतोत्साहित करने के लिए पार्किंग शुल्क में बढ़ोतरी और सीएनजी/इलेक्ट्रिक बसों, मेट्रो सेवाओं को बढ़ावा देने का निर्देश दिया था.
दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता के आधार पर जीआरएपी को चार चरणों में वर्गीकृत किया गया है. पहला चरण वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 201-300 यानी ‘खराब’ होने पर लागू किया जाता है.
दूसरा चरण एक्यूआई 301-400 (बहुत खराब) होने पर, तीसरा चरण एक्यूआई 401-450 (गंभीर) होने पर और चौथा चरण एक्यूआई 450 से अधिक (गंभीर से भी ज्यादा) होने पर लागू किया जाता है.
पहले चरण में 500 वर्ग मीटर के बराबर या उससे अधिक के उन भूखंड पर निर्माण और तोड़फोड़ परियोजनाओं पर काम रोकने का आदेश दिया जाता है जो धूल रोकने के उपायों की निगरानी से संबंधित राज्य सरकार के पोर्टल पर पंजीकृत नहीं होते हैं.
दूसरे चरण के तहत उठाए जाने वाले कदमों में व्यक्तिगत वाहनों के इस्तेमाल को कम करने के उद्देश्य से पार्किंग शुल्क बढ़ाना और सीएनजी/इलेक्ट्रिक बस और मेट्रो सेवाओं को बढ़ावा देना शामिल है.