Ballistic Missiles: दुनिया की 10 सबसे खतरनाक मिसाइलें! क्या भारत-पाकिस्तान की भी लिस्ट में, जानें
1970 के दशक से सेवा में मौजूद मिनटमैन III एक तीन-चरणीय ठोस ईंधन ICBM है. इसकी रेंज लगभग 13,000 किमी है और यह कई MIRV (Multiple Independently Targetable Reentry Vehicle) ले जा सकता है. वर्तमान में अमेरिका के 400 साइलो में यह मिसाइलें तैनात हैं.
ट्राइडेंट II मिसाइल को लॉकहीड मार्टिन स्पेस ने विकसित किया है और यह एक पनडुब्बी-से-लॉन्च की जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) है. यह अमेरिकी नौसेना के ओहियो और ब्रिटिश वैनगार्ड-क्लास पनडुब्बियों पर तैनात है. फुल लोड के साथ इसकी रेंज 7,800 किमी और हल्के लोड के साथ 12,000 किमी तक पहुंचती है.
वोयेवोडा जिसे नाटो नाम से SS-18 Satan कहा जाता है, रूस की सबसे भयानक मिसाइलों में से एक है. इसकी रेंज लगभग 11,000 किमी है और यह 10 से अधिक बड़े थर्मोन्यूक्लियर वारहेड एक साथ ले जा सकती है. इसे अमेरिका पर लक्षित करने के लिए खासतौर पर डिजाइन किया गया था.
यार्स मिसाइल, जिसे SS-29 या SS-27 मॉड 2 भी कहा जाता है, MIRV से लैस एक घातक ICBM है जिसकी रेंज 12,000 किमी है. इसका पहला परीक्षण 2007 में हुआ और 2010 से यह सक्रिय तैनाती में है.
यह SLBM 12 थर्मोन्यूक्लियर वारहेड ले जाने में सक्षम है और इसकी रेंज कम लोड में 12,000 किमी तक पहुंच सकती है. इसे विशेष रूप से रूस की परमाणु पनडुब्बियों के लिए डिज़ाइन किया गया है.
DF-41 चीन की सबसे आधुनिक और लंबी दूरी की रोड मोबाइल ICBM है, जिसकी रेंज 12,000 से 15,000 किमी तक है. यह 10 तक MIRV वारहेड ले जाने में सक्षम है और इसका उद्देश्य अमेरिकी ठिकानों तक पहुंच बनाना है.
DF-31 एक तीन-चरणीय ठोस ईंधन मिसाइल है जिसकी अनुमानित रेंज 8,000 से 11,700 किमी है. यह मोबाइल लांचर पर तैनात रहती है जिससे इसे त्वरित प्रतिक्रिया में लॉन्च किया जा सकता है.
टाइप 096 पनडुब्बियों के लिए डिजाइन की गई JL-3 मिसाइल की रेंज 9,000 से 12,000 किमी है. यह चीन की समुद्री परमाणु प्रतिरोध की रीढ़ बनने जा रही है.
एम51 मिसाइल को 2010 में फ्रांसीसी नौसेना में शामिल किया गया था. यह छह से दस स्वतंत्र वारहेड्स ले जाने में सक्षम है और इसकी रेंज 8,000 से 10,000 किमी के बीच है.
अग्नि-5, भारत की पहली इंटरकॉन्टिनेंटल रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है. इसकी रेंज 5,000+ किमी है और यह 1.5 टन का न्यूक्लियर पेलोड ले जा सकती है. भारत के सामरिक बल कमान (SFC) के तहत यह मिसाइल भारत की परमाणु प्रतिरोध क्षमता का प्रतीक बन चुकी है.