और 8 महीने स्पेस में रह सकती है सुनीता विलियम्स, नासा ने कहा- 2025 तक होगी वापसी; यात्रियों के लिए बढ़ सकता है खतरा
स्पेस एजेंसी नासा की स्पेस पैसेंजर सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को अंतरिक्ष में गए हुए 2 महीने से भी ज्यादा हो चुके हैं और लगातार उनकी वापसी की तारीख में देरी होती जा रही है. नासा ने कहा है कि विलियम्स की वापसी 2025 तक हो सकती है.
सुनीता विलियम्स जिस रॉकेट से अंतरिक्ष में गई थी उसका नाम है बोइंग स्टारलाइनर यह 5 जून 2024 को लांच हुआ था और ठीक 7 दिन बाद इसे वापस आना था, लेकिन अब नासा कह रहा है कि अंतरिक्ष यात्रियों को बोइंग स्टारलाइनर नहीं बल्कि स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन से वापस लौटना पड़ेगा.
स्पेस पैसेंजर्स की टीम अगर स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन से आती है तो उनके लौटने में और 8 महीने लग सकते हैं और अंतरिक्ष में रुकने का यह बहुत लंबा समय है. इस कारण स्पेस में यात्रा कर रहे यात्रियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है.
स्पेस में जाने का यह प्रोजेक्ट अब तक का सबसे महंगा प्रोजेक्ट है, जिसमें 150 अरब डॉलर की लागत लग चुकी है. हालांकि, वहां सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं सोने के लिए क्वार्टर, कसरत के लिए जिम तक मौजूद है, लेकिन पृथ्वी की तुलना में सुरक्षा एक बड़ी चुनौती रहती है.
यह स्पेस स्टेशन पृथ्वी से 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर धरती का चक्कर लगाता है. इस स्पेस स्टेशन में रहने वाले हानिकारक रेडिएशन से सुरक्षित नहीं हो सकते. क्योंकि यह स्पेस स्टेशन दक्षिण अमेरिका के पूर्वी तट के पास से होकर गुजरता है जहां रेडिएशन धरती की तुलना में 30 गुना ज्यादा होती है. यानी की जितनी रेडिएशन एक आदमी धरती पर एक्सपीरियंस करता है. उतनी रेडिएशन एक अंतरिक्ष यात्री एक हफ्ते में कर लेता है.
क्योंकि रेडिएशन ज्यादा होती है इसलिए इतने लंबे समय तक इन रेडिएशन के बीच में रहना कैंसर का कारण भी बन सकता है. अंतरिक्ष यात्रियों को माइक्रोग्रैविटी में भी रहना पड़ सकता है, जो कि मांसपेशियों को और हड्डियों को भयानक तरीके से नुकसान पहुंचा सकती है.
अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण के कारण शरीर का तरल पदार्थ निचले हिस्से में चला जाता है, लेकिन जब गुरुत्वाकर्षण नहीं होता तब शरीर का ज्यादातर तरल पदार्थ शरीर के ऊपरी हिस्से में चला जाता है, जिसके कारण चेहरा या फिर ऊपरी हिस्सा सूज जाता है.
अंतरिक्ष यात्रियों का स्पेस में जाना जितना आसान दिखता है उतना होता नहीं है यह यात्रियों को मानसिक रूप से इफेक्ट करता है. जहां एक और सुनीता विलियम और उनके साथ ही यह मानकर चल रहे थे कि उन्हें 8 दिन बाद वापस आना है तो वहीं उन्हें वहां 8 महीने रहना पड़ सकता है. पृथ्वी से 400 किलोमीटर दूर रहना एक बड़ा चैलेंज है.