Moon Mission: आखिर चांद पर ऐसा क्या है, जिसको लेकर मची है दुनिया भर के देशों के बीच होड़
चंद्रयान-3 जैसे-जैसे चांद के करीब आ रहा है. दुनियाभर की निगाहें भारत और उसके मिशन मून पर लगी हैं. वहीं, करीब पांच दशक के लंबे अंतराल के बाद चांद तक पहुंचने की रेस में रूस भी कूद पड़ा है.
ऐसे में रूसी और एक भारतीय स्पेसक्राफ्ट चांद पर उतरने के इरादे से आगे बढ़ रहे हैं. इस बीच, अमेरिका और चीन साल 2030 से पहले चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपने अंतरिक्ष यात्रियों को उतारने की होड़ में लगे हुए हैं.
दुनियाभर के देशों की चांद की प्रति बढ़ती दिलचस्पी इस बात का सबूत है कि कुछ तो वहां ऐसा मौजूद है, जिसको लेकर होड़ मची हुई है. अब सवाल उठता है कि ऐसा क्या है, जिसके लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक जूझ रहे हैं.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का चंद्रयान-3 और रूस का लूना-25 अपने साथ एक-एक लैंडर लेकर अंतरिक्ष में गए हैं, ताकि चांद के दक्षिणी ध्रुव में यानी अंधेरे वाले हिस्से में उतर कर इतिहास रच सकें.
वैज्ञानिकों का दावा है कि चांद पर हीलियम का एक आइसोटोप है जो पृथ्वी पर दुर्लभ है, लेकिन चंद्रमा पर इसके दस लाख टन होने का अनुमान है. इसके साथ ही चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पर्वत श्रृंखलाओं की सतत छाया में बर्फ के नीचे पानी दबा हो सकता है.
लूना-25 लॉन्च करने वाली रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि उनका पहला लक्ष्य पानी ढूंढना और पुष्टि करना है कि वह वहां है. फिर वह इसकी प्रचुरता का अध्ययन करेगा.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत और रूस स्पेसक्राफ्ट चांद पर जमे पानी और किसी तरह के संभावित खनिज की तलाश करने के लक्ष्य के साथ चांद की तरफ गए हैं.
रूस ने 11 अगस्त 2023 (मॉस्को समय के अनुसार) को लूना-25 लॉन्च किया है, वहीं भारत ने 14 जुलाई को चंद्रयान-3 चांद के लिए रवाना किया है. माना जा रहा है कि दोनों ही मिशन लगभग समान वक्त चांद पर अपना-अपना लैंडर उतारेंगे.