तालिबान के डर से जान बचाने भारत आए थे अफगानी सिख, अब कनाडा को बना लिया 'अपना घर'!
अफ़ग़ानिस्तान के लिए साल 2021 इतिहास बदलने वाला साबित हुआ. अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की वापसी हुई. तमाम लोगों की उम्मीदों के परे देखते ही देखते अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर तालिबान का कब्ज़ा हो गया था. दिप्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के कब्ज़े के बाद अपने देश से भागकर भारत आए दो-तिहाई अफगान सिख कनाडा में बस गए हैं.
इस बीच अगस्त 2022 में दिल्ली पहुंचे अफगान के एक सिख शख्स ने पिछले फरवरी में दिप्रिंट को बताया था कि अगर उन्हें कनाडा का वीज़ा नहीं मिला, तो वे अपने 6 बच्चों, पत्नी और भाभी के साथ काबुल वापस चले जाएंगे. क्योंकि उस समय उनके सभी अस्थायी भारतीय ई-वीज़ा पहले ही खत्म हो चुके थे.
माना जाता है कि कनाडा में सिख फाउंडेशन भारत के रास्ते यात्रा करने वालों की मदद कर रहे हैं, उन्हें आने पर पहले साल के लिए मासिक वजीफा, घर, किराने का सामान, मोबाइल फोन और बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा प्रदान कर रहे हैं. इसके साथ ही युद्धग्रस्त देश तालिबान से भारत भागकर आए लगभग 350 अफगान सिखों में से 230 सफलतापूर्वक कनाडा चले गए हैं.
दिल्ली स्थित खालसा दीवान वेलफेयर सोसाइटी का अनुमान है कि भारत में 120 अफगान सिख अभी भी कनाडाई वीज़ा का इंतज़ार कर रहे हैं. खालसा दीवान वेलफेयर सोसाइटी के मुताबिक, “2021 के बाद आने वालों में से लगभग 230 कनाडा में बस गए हैं. एक या दो परिवार अमेरिका में हैं. अधिकांश कनाडा में निर्माण काम, ट्रक चलाने या पेट्रोल पंपों पर काम कर रहे हैं.
प्राइवेट स्पॉन्सर कनाडाई लोगों या संगठनों के स्वयंसेवी समूह हैं, जिनमें आस्था-आधारित संघ, जातीय-सांस्कृतिक समूह या बस्ती संगठन शामिल हैं. कई सिख-आधारित प्राइवेट स्पॉन्सर ने अफगान सिखों को स्पॉन्सर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
हालांकि, 2021 में अपने देश से भागे अफगान सिखों के लिए यह विकल्प नहीं है. क्योंकि सीएए केवल उन लोगों पर लागू होता है. जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे. इसलिए, कई लोग कनाडा को एक आकर्षक विकल्प के रूप में देखते हैं. क्योंकि वहां बड़ी संख्या में सिख प्रवासी हैं और साथ ही अगर कोई शरणार्थी है तो नागरिकता पाने का एक आसान रास्ता है. कनाडा, कानून के अनुसार, शरणार्थियों को वापस नहीं भेज सकता है, भले ही उनके पास उचित दस्तावेज़ न हों.
भारत में अफगानिस्तान से आए करीब 120 सिख रह रहे हैं. हालांकि, ये लोग भी कनाडा का वीजा मिलने का इंतजार कर रहे हैं.