Wrestlers Protest: गुस्सा, आंखों में आंसू और हाथों में मेडल...गंगा में पदक बहाने पहुंचे पहलवानों की तस्वीरें देखें
हालांकि, खाप और किसान नेताओं के मनाने के बाद उन्होंने अपना यह फैसला वापस ले लिया और अपनी मांगे मानने के लिए पांच दिन का समय दिया है.
प्रदर्शन कर रहे पहलवान जैसे ही अपने विश्व और ओलंपिक पदक गंगा नदी में बहाने को तैयार हुए वैसे ही ‘हर की पौड़ी’ पर काफी भीड़ इकट्ठा हो गई थी. साक्षी, विनेश और उनकी चचेरी बहन संगीता काफी भावुक नजर आ रही थीं.
उनके समर्थकों ने उनके चारों ओर घेरा बनाया हुआ था. पहलवान ‘हर की पौड़ी’ पहुंचकर करीब 20 मिनट तक चुपचाप खड़े रहे. फिर वे गंगा नदी के किनारे अपने पदक हाथ में लेकर बैठ गए. बजरंग 40 मिनट बाद वहां पहुंचे. विनेश के पति सोमबीर राठी के पास एशियाई खेलो में विनेश के जीते पदक थे. साक्षी के हाथ में रियो ओलंपिक का कांस्य पदक था.
इस पूरे मामले ने 1960 की एक घटना की यादें ताजा कर दी जब महान मुक्केबाज मुहम्मद अली ने अमेरिका में नस्लीय पक्षपात के खिलाफ अपना ओलंपिक स्वर्ण पदक ओहियो नदी में फेंक दिया था.
खाप और राजनेताओं के अनुरोध के बाद करीब पौने दो घंटे बिताने के बाद पहलवान वापस लौट आए. किसान नेता शाम सिंह मलिक और नरेश टिकैत ने मामले को सुलझाने के लिये पहलवानों से पांच दिन का समय मांगा है.
हर की पौड़ी पर खाप और किसान नेता पहलवानों तक पहुंचे. गंगा दशहरे के मौके पर पहुंचे हजारों श्रृद्धालु उन्हें देखते रहे. इस दौरान पहलवानों ने मीडिया से कोई बात नहीं की.
कई अन्य खाप नेताओं और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी पहलवानों का समर्थन किया लेकिन उनसे संयम बरतने की अपील की. खाप नेता बलवंत नंबरदार ने कहा ,‘‘ पहलवान कह रहे हैं कि वे अपने पदक गंगा में बहा देंगे. हम उनसे अनुरोध करते हें कि ये पदक उनके परिवार के बलिदानों, उनकी कड़ी मेहनत और समाज के सहयोग से मिले हैं.
इससे पहले 28 मई को पहलवानों को नई संसद भवन की तरफ जाने को लेकर हिरासत में लिया गया था. इसके बाद उन्हें जंतर-मंतर के धरना स्थल से हटाया गया था. तब देश के शीर्ष पहलवानों ने कहा कि वे कड़ी मेहनत से जीते अपने पदक गंगा नदी में बहा देंगे और इंडिया गेट पर ‘आमरण अनशन’ पर बैठेंगे.