Weather Update: मौसम बिगाड़ेगा हाल! IMD ने बता दिया अगले पांच दिनों में कितना बढ़ जाएगा तापमान
देश के कई हिस्सों में पहले से ही अधिक तापमान दर्ज किया जा रहा है जो आमतौर पर मार्च के पहले सप्ताह में दर्ज किया जाता है. इसने इस साल तीव्र गर्मी और लू को लेकर चिंताओं को बढ़ा दिया है. आईएमडी ने एक बयान में कहा, ‘‘अगले पांच दिनों के दौरान उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से तीन से पांच डिग्री सेल्सियस अधिक रहने की संभावना है. ’’
आईएमडी ने कहा कि अगले दो दिनों के दौरान उत्तर पश्चिमी भारत में अधिकतम तापमान में उल्लेखनीय बदलाव की संभावना नहीं है. हालांकि, इसके बाद पारा दो से तीन डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने का अनुमान है. आईएमडी के एक अधिकारी ने कहा कि मार्च के पहले 15 दिनों में उत्तर पश्चिमी भारत के एक या दो मौसम संबंधी उपखंडों में पारा 40 डिग्री सेल्सियस और उससे अधिक तक बढ़ सकता है.
आईएमडी ने फरवरी में असामान्य रूप से गर्म मौसम के लिए कई कारकों को जिम्मेदार ठहराया है, जिसमें मजबूत पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टर्बन्स) की अनुपस्थिति प्रमुख कारण है. उल्लेखनीय है कि मजबूत पश्चिमी विक्षोभ बारिश लाते हैं और तापमान को कम रखने में मदद करते हैं. सोमवार (20 फरवरी) को उत्तर-पश्चिमी, मध्य और पश्चिम भारत के अधिकांश स्थानों पर अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से 39 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया गया. दिल्ली के प्राथमिक मौसम केंद्र सफदरजंग वेधशाला में अधिकतम तापमान 33.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के साथ यहां सोमवार को 1969 के बाद फरवरी का तीसरा सबसे गर्म दिन दर्ज किया गया.
यदि किसी केंद्र का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस, तटीय क्षेत्रों में कम से कम 37 डिग्री और पहाड़ी क्षेत्रों में कम से कम 30 डिग्री तक पहुंच जाता है और वह सामान्य से कम से कम 4.5 डिग्री अधिक होता है तो लू की घोषणा की जाती है.
इस दौरान उच्च तापमान उपज के लिए नुकसानदेह होता है. अन्य खड़ी फसलों और बागवानी पर भी इसी तरह का प्रभाव पड़ सकता है. आईएमडी ने कहा कि अगर फसल पर दबाव दिखाई देता है तो किसान हल्की सिंचाई के लिए जा सकते हैं. आईएमडी ने कहा, ‘‘उच्च तापमान के प्रभाव को कम करने व मिट्टी की नमी को संरक्षित करने और उसके तापमान को बनाए रखने के लिए सब्जी की फसलों की दो पंक्तियों के बीच की जगह में गीली घास सामग्री रखें. ’’
फरवरी में थोड़ी ठंड रहती है लेकिन अभी से ही मौसम बदलना शुरू हो गया है. बुधवार (22 फरवरी) को सुबह कोहरा दिखने के बाद उम्मीद जताई गई थी कि मौसम सही होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पिछले साल मार्च में, 1901 के बाद से देश में सबसे गर्म, गर्मी के कारण गेहूं की पैदावार में 2.5 प्रतिशत की गिरावट आई. मौसम विभाग ने उत्तर भारत में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ और दक्षिण भारत में किसी भी प्रमुख प्रणाली की अनुपस्थिति के कारण बारिश की कमी के लिए असामान्य गर्मी को जिम्मेदार ठहराया था. पूरे देश में सिर्फ 8.9 मिमी बारिश दर्ज की गई थी, जो 30.4 मिमी के दीर्घकालिक औसत से 71 प्रतिशत कम थी.