विधि-विधान से खुले तीसरे केदार के रूप में विख्यात भगवान तुंगनाथ धाम के कपाट
कपाट खोलने के अवसर पर तुंगनाथ जाने की अनुमति मात्र 12 लोगों को ही मिली थी. इसके बाद विधि-विधान और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट खोल दिये गये.
कपाट खोलने के अवसर पर तुंगनाथ मंदिर को हजारों टन फूलों से सजाया गया था.
चार किमी की चढ़ाई पार करने के बाद तुंगनाथ की पैदल डोली यात्रा तुंगनाथ धाम पहुंची. जिसके बाद मंदिर के पुजारी और हक-हकूकधारियों ने विध-विधान से तुंगनाथ के कपाट खोले.
18 मई को तुंगनाथ की पैदल डोली यात्रा शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ से तुंगनाथ के लिये निकली थी.
कपाट खोलने के अवसर पर बिना भक्तों के तुंगनाथ धाम में सन्नाटा पसरा रहा. तुंगनाथ धाम में भगवान शिव की भुजाओं की पूजा होती है.
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुये सादगी के साथ कपाट खोले गये.
सबसे ऊंचाई पर स्थित और तीसरे केदार के रूप में विख्यात भगवान तुंगनाथ धाम के कपाट विधि-विधान से खोल दिये गये हैं. कपाट खुलने के अवसर पर धाम में मात्र कुछ पुजारी और स्थानीय लोग मौजूद थे.