Bihar Day 2025: कौन था वो बिहार का राजा, जिसे दहेज में मिला था पाकिस्तान, जानें
सिकंदर यूनान से आया था और उस समय उसका सेनापति सेल्यूकस निकेटर था. सिकंदर के बाद उसके सेनापति ने बाद में भारत आकर व्यास नदी को पार किया था.
326 ईसा पूर्व के समय मगध पर चंद्रगुप्त मौर्य का शासन हुआ करता था, जिनके प्रधानमंत्री चाणक्य थे. चाणक्य की नीतियों से ही सिकंदर वापस लौट गया था.
चंद्रगुप्त मौर्य की सेना में हाथियों की एक बहुत बड़ी फौज थी. यह बात पहले सिकंदर को नहीं पता थी, लेकिन सिकंदर के सेनापति को जब यह पता चला तो वह हाथियों के साथ लड़ने चला आया.
चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को यह सलाह दी थी कि वह सिकंदर के सेनापति की हाथियों के सेना के सामने अपने घोड़े की सेना को उतार दे. मौर्य ने बारिश के मौसम का इंतजार किया और उस जगह पर युद्ध शुरू किया, जहां पर पानी भर जाता था.
पानी भरने के बाद हाथियों को चलने में दिक्कत होती है. निकेटर घोड़े के रथ को लेकर आया था,, लेकिन चंद्रगुप्त मौर्य की घोड़े खुले थे. वह उनकी सेना पर भारी पड़े और वह पूरे युद्ध में फंस गया.
इतिहासकारों की मानें तो युद्ध हारने के बाद सेल्यूकस ने चंद्रगुप्त मौर्य से अपनी बेटी हेलन का विवाह करने का निर्णय लिया और दहेज में अराकोसिया (कंधार), जेडरोसिया (मकरान/बलूचिस्तान) और पैरोपेनिस्डाई (काबुल) का इलाका दिया था. इस तरह पूरा पाकिस्तान और अफगानिस्तान चंद्रगुप्त मौर्य को दहेज में मिला था.
बिहार को बुद्ध की धरती कहा जाता है. 1912 में बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग होकर बिहार एक अलग प्रदेश बना था और आज (25 मार्च, 2025) उसे 113 साल हो गए हैं.