शिवलिंगों को हथौड़े से की तोड़ने की कोशिश और सेना हो गई बेहोश, औरंगजेब ने यूपी के इस मंदिर में टेक दिए थे घुटने
वहीं, एक मंदिर ऐसा भी था जिसे तोड़ने के लिए औरंगजेब पहुंचा तो उसको उल्टे पांव लौटना पड़ा. इतना ही नहीं उसकी सेना भी बेहोश हो गई. ये मंदिर और कोई नहीं बल्कि भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट में स्थित है.
भारत के इतिहास कई ऐसी घटनाएं हैं, जो औरंगजेब को क्रूर शासक के तौर पर दर्शाती हैं. उसने भारत पर 1658 से लेकर 1707 तक शासन किया. इस दौरान अत्याचार करने की घटनाएं भी सुनने को मिलीं, जिसमें मंदिरों को तोड़ना भी शामिल था.
इसी क्रम में जब वो चित्रकूट पहुंचा तो उसकी सेना ने मंदाकिनी नदी के किनारे रामघाट पर स्थित महाराजधिराज मत्यगजेंद्रनाथ मंदिर के शिवलिंगों को हथौड़े से तोड़ने की कोशिश की. कहा जाता है कि इन शिवलिंगों को ब्रह्माजी ने स्थापित किया था.
इन शिवलिंगों पर जब हथौड़ा चलाया गया तो औरंगजेब के सेनापति समेत पूरी सेना ही बेहोश हो गई. जब इसकी खबर शासक को लगी तो वो घबरा गया और बालाजी मंदिर पहुंचा.
इस घटना के बारे में मत्यगजेंद्रनाथ मंदिर के पुजारी विपिन तिवारी बताते हैं कि औरंगजेब ने बालाजी मंदिर के संत बालक दास से सेना को ठीक करने प्रार्थना की थी. इस पर बालक दास ने औरंगजेब से कहा था कि तुमको लिखकर देना होगा कि चित्रकूट में मंदिरों को नहीं तोड़ोगे.
इसके बाद औरंगजेब ने संत बालक दास की बात मान ली और तामपत्र पर लिखकर दिया कि वो चित्रकूट के मंदिरों को दोबारा नहीं तोड़ेगा. उन्होंने शासक को उपाय बताते हुए कहा कि यहां से 10 किमी दूर चले जाओ. संत ने उसे एक भभूत दी, जिसके बाद उसकी सेना ठीक हुई.
औरंगजेब ने हजारों बीघा जमीन दान की और मंदिर को बनवाया भी. इस घटना के प्रमाण आज भी मत्यगजेंद्रनाथ मंदिर और बालाजी मंदिर में मिलते हैं.
बालाजी मंदिर के महंत भुवनदास महाराज का कहना है कि ये घटना 1691 की है और औरंगजेब का तामपत्र भी मौजूद है.