मनोज जरंगे पाटिलः कभी होटल में करना पड़ा था काम, फिर कांग्रेस से जुड़ा नाम और आगे यूं मिली महाराष्ट्र में बड़ी पहचान
मनोज जारांगे पाटिल की हालिया भूख हड़ताल ने महाराष्ट्र में उथल-पुथल मचा दी थी, जिससे राज्य के कुछ हिस्सों में हिंसा भड़क उठी थी.
मनोज जारांगे लगभग 15 साल पहले सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण के आंदोलन में शामिल हुए थे. उन्होंने कई मार्चों और विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया है. अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी चार एकड़ जमीन में से 2.5 एकड़ कृषि भूमि भी बेच दी थी.
शुरू में कांग्रेस के लिए काम करने के बाद मनोज जारांगे पाटिल ने मराठा आरक्षण के लिए विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए शिवबा संगठन की स्थापना की.
सुप्रीम कोर्ट की ओर से साल 2021 में मराठा आरक्षण कोटा रद्द करने के बाद मनोज जारांगेल ने विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शनों में भाग लिया, जिसमें जालना जिले के साश्त-पिंपलगांव में तीन महीने का आंदोलन भी शामिल था. इस प्रदर्शन में हजारों लोग उनके साथ शामिल हुए थे.
मराठा कार्यकर्ता पिछले साल सितंबर में अतरावली-सराटे गांव में भूख हड़ताल के दौरान सुर्खियों में आए थे. इस बीच प्रकाश आंबेडर की पार्टी वंचित बहुजन आघाडी ने महाविकास आघडी से मनोज जारांगे को जालना लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाने की मांग की है.
वंचित बहुजन आघाडी ने ये मांग महा विकास आघाडी की मीटिंग में की. पार्टी ने 27 जगहों पर टिकट का प्रस्ताव रखा है.