Manipur Violence: मणिपुर हिंसा को हुए दो महीने, बार-बार भड़क रहा बवाल, तस्वीरों में देखें अब राज्य में कैसे हैं हालात
मणिपुर में मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में 3 मई को 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के दौरान राज्य में हिंसा भड़क उठी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (3 जुलाई) को मणिपुर सरकार को जातीय हिंसा प्रभावित राज्य में पुनर्वास सुनिश्चित करने और कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार के लिए उठाए गए कदमों की रिपोर्ट मांगी थी.जिसमें राज्य सरकार की तरफ से बयान देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है.
पुलिस के अलावा राज्य में इंडियन रिजर्व बटालियन, मणिपुर राइफल्स, सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) की 114 कंपनियां और सेना की 184 टुकड़ियां तैनात की गई हैं.
दो महीने पहले शुरु हुई जातीय झड़प के बाद से बंद किए गए पहली से आठवीं कक्षा तक के स्कूल बुधवार (5 जुलाई) को खोल दिए गए.
सीएम एन बीरेन सिंह ने जानकारी दी कि घाटी जिलों में स्थापित बंकरों को हटा दिया जाएगा,जबकि मेइती और कुकी दोनों समुदायों के किसानों को सुरक्षा प्रदान किया जाएगा, ताकि कृषि गतिविधियां शुरू हो सकें.
हिंसा की आग में झुलसते मणिपुर में आर्थिक गतिविधियां लगभग ठहर सी गई हैं, जिसका सीधा प्रभाव कारोबारी समुदाय पर पड़ा है.
मणिपुर के थौबल जिले में मंगलवार (4 जुलाई) को इंडियन रिजर्व बटालियन (आईआरबी) के शिविर से हथियारबंद भीड़ ने कथित तौर पर हथियार लूटने की कोशिश की,जिसमें सुरक्षा बलों के साथ हुई झड़प में 27-वर्षीय के एक व्यक्ति की मौत हो गई,जबकि असम राइफल्स का एक जवान भी घायल हो गया.
दूसरी ओर मंगलवार देर रात और बुधवार सुबह को राज्य के दो अलग-अलग इलाकों में गोलीबारी हुई, जिसमें किसी के भी हताहत होने की कोई सूचना नहीं है.
भारतीय युवा कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर मणिपुर हिंसा को रोक पाने में विफलता का आरोप लगाया और प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी सरकार को बर्खास्त करने की मांग की.
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने बीजेपी पर विभाजनकारी राजनीति कर कश्मीर और मणिपुर को 'बर्बाद' करने का आरोप लगाया. इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि बीजेपी अब पश्चिम बंगाल में 'अलगाववादी समूहों' को बढ़ावा दे रही है.