✕
  • होम
  • इंडिया
  • विश्व
  • उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड
  • बिहार
  • दिल्ली NCR
  • महाराष्ट्र
  • राजस्थान
  • मध्य प्रदेश
  • हरियाणा
  • पंजाब
  • झारखंड
  • गुजरात
  • छत्तीसगढ़
  • हिमाचल प्रदेश
  • जम्मू और कश्मीर
  • बॉलीवुड
  • ओटीटी
  • टेलीविजन
  • तमिल सिनेमा
  • भोजपुरी सिनेमा
  • मूवी रिव्यू
  • रीजनल सिनेमा
  • क्रिकेट
  • आईपीएल
  • कबड्डी
  • हॉकी
  • WWE
  • ओलिंपिक
  • धर्म
  • राशिफल
  • अंक ज्योतिष
  • वास्तु शास्त्र
  • ग्रह गोचर
  • एस्ट्रो स्पेशल
  • बिजनेस
  • हेल्थ
  • रिलेशनशिप
  • ट्रैवल
  • फ़ूड
  • पैरेंटिंग
  • फैशन
  • होम टिप्स
  • GK
  • टेक
  • ऑटो
  • ट्रेंडिंग
  • शिक्षा

साल के पहले दिन ISRO ने रचा इतिहास, पृथ्वी से 650 KM ऊपर स्पेस में चक्कर लगाएगी एक्सपोसैट सैटेलाइट, जानिए ये क्या-क्या करेगी

एबीपी लाइव   |  01 Jan 2024 12:21 PM (IST)
1

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) ने 'एक्स-रे पोलेरिमीटर सैटेलाइट' (एक्सपोसैट) सैटेलाइट को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया. ये लॉन्च सुबह 9.10 बजे अंजाम दिया गया.

2

इसरो ने अपने मिशन को अंजाम देने के लिए 'पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल रॉकेट' (पीएसएलवी) का इस्तेमाल किया. एक्सपोसैट सैटेलाइट को पृथ्वी की निचली कक्षा में 650 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया गया है.

3

एक्सपोसैट सैटेलाइट एक अडवांस्ड एस्ट्रोनॉमी ऑब्जर्वेटरी है, जिसका काम ब्लैक होल और न्यूट्रोन सितारों की स्टडी करना है. अमेरिका के बाद भारत दूसरा ऐसा देश बन गया है, जो अंतरिक्ष में ऑब्जर्वेटरी के जरिए ब्लैक होल की स्टडी करेगा.

4

एक्सपोसैट एक्स-रे फोटोन और अपने अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप के जरिए ब्लैक होल से निकलने वाले रेडिएशन की स्टडी करने वाला है. ये ब्लैक होल के रहस्यों से पर्दा उठाएगा. इस मिशन का जीवनकाल पांच साल का है.

5

एक्सपोसैट मिशन के जरिए दो पेलोड भेजे गए हैं, जिन्हें पोलिक्स (पोलरेमीटर इंस्ट्रूमेंट एक्स-रे) और एक्सपैक्ट (एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कॉपी और टाइमिंग) कहा जाता है. पोलिक्स पेलोड के जरिए सैटेलाइट एक्स-रे से निकलने वाली पोलराइजेशन को मापेगा.

6

मिशन के जरिए ब्रह्मांण में मौजूद एक्स-रे सोर्स के लंबे समय तक स्पेक्ट्रल स्टडी की जाएगी. पोलिक्स और एक्सपैक्ट पेलोड के जरिए ब्रह्मांडीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का ध्रुवीकरण और स्पेक्ट्रोस्कोपिक माप भी किया जाएगा.

7

दरअसल, जब तारों का ईंधन खत्म हो जाता है, तो उनकी मौत हो जाती है. उनकी मौत अपने ही गुरुत्वाकर्षण की वजह होती है. इसकी वजह से ब्लैक होल और न्यूट्रॉन सितारें बनते हैं. इसरो इनके बारे में अधिक जानकारी जुटाकर ब्रह्मांड के खतरनाक रहस्यों को सुलझाना चाहता है.

  • हिंदी न्यूज़
  • फोटो गैलरी
  • इंडिया
  • साल के पहले दिन ISRO ने रचा इतिहास, पृथ्वी से 650 KM ऊपर स्पेस में चक्कर लगाएगी एक्सपोसैट सैटेलाइट, जानिए ये क्या-क्या करेगी
About us | Advertisement| Privacy policy
© Copyright@2025.ABP Network Private Limited. All rights reserved.