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Nagastra-1 Drone: सेना को मिला दुश्मन को 'डंसने' वाला नाग! जानें नागास्त्र-1 ड्रोन की खासियतें

एबीपी लाइव डेस्क   |  15 Jun 2024 11:31 AM (IST)
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भारतीय सेना को स्वदेशी 'साइलेंट किलर' मिल गए हैं, जिनका नाम 'नागास्त्र' है. इस आत्मघाती ड्रोन को घर में घुसकर मारने के लिए डिजाइन किया गया है. स्वदेशी सैन्य क्षमता बढ़ाने की दिशा में भारत के जरिए उठाए जा रहे कदम के तौर पर इन ड्रोन्स को सेना को सौंपा गया है. नागपुर की सोलर इंडस्ट्रीज ने नागास्त्र-1 ड्रोन तैयार किया है.

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नागास्त्र-1 यूएवी आधारित ड्रोन है, जो टारगेट पर जाकर क्रैश होता है और उसे नेस्तनाबूद कर देता है. इसका मुख्य काम जीपीएस के जरिए सटीकता के साथ टारगेट के ऊपर मंडराना और फिर उससे क्रैश होकर खत्म करना है. ऐसे में आइए इस ड्रोन की कुछ सबसे जबरदस्त खायिसतों के बारे में जानते हैं.

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सटीक हमला करने की क्षमता: नागास्त्र-1 ड्रोन कामिकाझे मोड में आने के बाद सीधे टारगेट पर हमला करके और इस प्रोसेस में खुद को नष्ट करके दुश्मन का खात्मा कर सकता है. आसान भाषा में कहें तो अगर दुश्मन का कोई वाहन आ रहा है तो ये उससे जाकर क्रैश हो जाता है और अपने साथ-साथ उसे भी नष्ट कर देता है.

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ऊंचाई पर ऑपरेट करने की ताकत: सेना को मिला नागास्त्र-1 ड्रोन 4500 मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है. इतनी ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता की वजह से रडार के जरिए ड्रोन का पता लगाना मुश्किल हो जाता है. इसका मतलब है कि ड्रोन को आसानी से दुश्मन के इलाके में भेजकर टारगेट को तबाह किया जा सकता है.

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सर्विलांस उपकरण: नागास्त्र-1 ड्रोन के भीतर दिन-रात के समय निगरानी करने वाले सर्विलांस कैमरा लगाए हैं. ड्रोन में वॉरहेड भी फिट किया जा सकता है, जिसके जरिए सॉफ्ट टारगेट तबाह हो सकते हैं. सर्विलांस कैमरों के जरिए ड्रोन दुश्मन की हर हरकत पर नजर रखने के काबिल भी है.

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ड्रोन की रेंज: सोलर इंडस्ट्रीज के जरिए तैयार किया गया ड्रोन 60 मिनट तक बिना किसी परेशानी के उड़ान भर सकता है. अगर ड्रोन को किसी शख्स के जरिए कंट्रोल किया जाए तो ये 15 किलोमीटर की रेंज में निगरानी कर सकता है, जबकि ऑटो मोड में इसकी रेंज बढ़कर 30 किलोमीटर हो जाती है.

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रिकवरी मैकेनिज्म: नागास्त्र-1 में अबोर्ट, रिकवर और रियूज की भी काबिलियत है. अगर टारगेट का पता नहीं चलता है तो ड्रोन को वापस बुलाया जा सकता है. ये पैराशूट सिस्टम के जरिए लैंड होने की काबिलियत रखता है. इस तरह ड्रोन का दोबारा इस्तेमाल भी किया जा सकता है.

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