भारत को मिलेगा हवाई 'साइलेंट किलर', जानिए कैसे दुश्मन के खिलाफ गेम-चेंजर साबित होगा प्रीडेटर ड्रोन
अमेरिकी कांग्रेस से भारत को प्रीडेटर ड्रोन बेचने के लिए हरी झंडी मिल गई है. इन ड्रोन की वजह से भारत की सैन्य क्षमता में कई गुना तक इजाफा होने वाला है. भारत को इससे न सिर्फ सीमाओं की निगरानी का मौका मिलेगा, बल्कि समुद्री इलाकों पर भी नजर रखी जा सकेगी.
31 प्रीडेटर ड्रोन में से 15 ड्रोन भारतीय नौसेना को मिलने वाले हैं. नौसेना इससे हिंद महासागर में अपनी निगरानी का दायरा बढ़ा पाएगी. सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि वे श्रीलंका और मालदीव के पास आने वाले चीन के जहाजों पर भी नजर गड़ा सकेगी, ताकि उसकी नापाक चाल को नाकामयाब किया जा सके.
प्रीडेटर ड्रोन ने अपनी क्षमता और काबिलियत का परिचय इराक और अफगानिस्तान युद्ध में दिया है. पाकिस्तान तो इस ड्रोन की ताकत देख चुका है. दरअसल, तालिबान का दूसरा सुप्रीम लीडर अख्तर मंसूर 21 मई, 2016 को बलूचिस्तान में इसी ड्रोन के हमले में मारा गया था.
अमेरिका से मिलने वाले इस ड्रोन में AGM-114 R Hell-Fire मिसाइलें लगाई जा सकती हैं. ड्रोन में इस मिसाइल को लगाकर ही मंसूर को मौत की नींद सुलाया गया था. भारत अमेरिका से 170 AGM-114 R Hell-Fire मिसाइल भी खरीद रहा है, जिसकी रेंज 11 किलोमीटर तक है.
अमेरिका से 310 लेजर गाइडेड बम भी खरीदे जा रहे हैं, जिनकी रेंज 150 किलोमीटर है. इसका मतलब यह है कि भारत की आतंकवाद-रोधी क्षमताएं भी कई गुना बढ़ जाएंगी, क्योंकि सीमा पार किए बिना घुसपैठियों को निशाना बनाया जा सकेगा.
ड्रोन की 27000 फीट तक की ऑपरेशनल सीलिंग है. प्रीडेटर ड्रोन लगभग 50,000 फीट की ऊंचाई से दुश्मन को देख सकता है और उसे नेस्तनाबूद कर सकता है. ड्रोन भारत को इंडो-पैसिफिक में और भी ज्यादा मजबूत बनाने वाला है.