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'नहीं हो रहा है हिंदुओं पर हमला', बांग्लादेश ने UN में दिया बड़ा बयान, बताया-क्यों हुए चिन्मय दास गिरफ्तार

एबीपी लाइव डेस्क   |  01 Dec 2024 12:08 PM (IST)
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संयुक्त राष्ट्र कार्यालय और जेनेवा में अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में बांग्लादेश के दूत एवं स्थायी प्रतिनिधि तारिक मोहम्मद अरिफुल इस्लाम ने कहा, हम बेहद निराशा के साथ यह कहते हैं कि चिन्मय दास की गिरफ्तारी को कुछ वक्ताओं ने गलत रूप में लिया है, जबकि वास्तव में उन्हें विशिष्ट आरोपों को लेकर गिरफ्तार किया गया था. हमारी अदालत इस मामले पर विचार कर रही है.

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इस्लाम ने 28-29 नवंबर को जेनेवा में अल्पसंख्यक मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र के मंच के 17वें सत्र के दौरान यह बयान दिया. हिंदू समूह सम्मिलिता सनातनी जोते के नेता चिन्मय दास को जेल भेजे जाने के बाद राजधानी ढाका और बंदरगाह शहर चटगांव सहित विभिन्न जगहों पर हिंदुओं ने विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया.

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भारत ने इन घटनाक्रमों पर गहरी चिंता जताई है, जबकि दोनों दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया है. सत्र के दौरान कुछ बांग्लादेशी गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) और व्यक्तियों ने देश की स्थिति के बारे में बात की.

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इंटरनेशनल फोरम फॉर सेक्युलर बांग्लादेश (आईएफएसबी) के एक प्रतिनिधि ने कहा कि देश की मौजूदा स्थिति 'बहुत चिंताजनक' और 'बहुत ज्वलंत मुद्दा' है. चिन्मय दास की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए प्रतिनिधि ने कहा कि इस्कॉन एक बहुत लोकप्रिय और शांतिपूर्ण संगठन है, लेकिन उसके पूर्व नेता को बिना किसी आरोप के गिरफ्तार किया गया है. उन्हें तीन दिन पहले ढाका में गिरफ्तार किया गया था और अब बांग्लादेश में हर दिन... पुलिस, सेना... अल्पसंख्यकों पर अत्याचार कर रहे हैं.

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इस्लाम ने कहा कि बांग्लादेश इस बात की पुष्टि करता है कि प्रत्येक बांग्लादेशी को धार्मिक पहचान की परवाह किए बिना अपने संबंधित धर्म का पालन करने या स्वतंत्र रूप से विचार व्यक्त करने का अधिकार है.

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उन्होंने कहा, 'अल्पसंख्यक समुदाय सहित प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करना बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की प्राथमिकता बना हुआ है.' इस्लाम ने कहा, 'हमारे शीर्ष नेतृत्व द्वारा अल्पसंख्यक धार्मिक नेताओं को बार-बार यह आश्वासन दिया गया है और मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के शुरुआती 100 दिनों में यह बार-बार साबित हुआ है.'

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उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में पांच अगस्त के बाद राजनीतिक और व्यक्तिगत कारणों से हिंसा भड़की थी, न कि सांप्रदायिक वजह से. इस्लाम ने कहा, 'हिंसा ने ज्यादातर पक्षपातपूर्ण राजनीतिक संबद्धता वाले लोगों को प्रभावित किया. इनमें से लगभग सभी मुस्लिम थे और केवल कुछ अन्य अल्पसंख्यक धार्मिक समूहों के थे.'

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