Dussehra 2021: दिल्ली में 'बौने' हुए रावण, कोरोना और प्रदूषण के मद्देनजर घटाई गई लंबाई, जानें पूरा मामला
कोरोनाकाल की मार, प्रदूषण का असर और महंगाई से त्रस्त सिर्फ आम आदमी ही नहीं बल्कि निर्जीव रावण भी हो गया है. शायद इसीलिए इस साल 'बौने' रावण राजधानी दिल्ली में देखने को मिलेंगे.
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View In Appदरअसल कोरोनाकाल से पहले रावण के पुतले का कद करीब 100 फीट से 150 फीट तक हुआ करता था. विशाल रावण के पुतले को जलते हुए देखने के लिए लोग दूर दराज़ से दिल्ली के अलग अलग हिस्सों में आया करते हैं, लेकिन फिलहाल प्रदूषण के मद्देनजर और लोगों को एक जगह इक्कठा होने से रोकने के लिए रावण के पुतले को विशाल आकार देने की मनाही है. दिल्ली में 20-50 फीट से ज्यादा लंबे रावण के पुतले नहीं बनाए जा सकते हैं.
ऐसे में उन कलाकारों का काम गंभीर रूप से प्रभावित हो गया है, जिन्हे हर वर्ष कम से कम 20 रावण बनाने के ऑर्डर आते थे. आज हालात ये हैं कि रावण के पुतले के कद के साथ, मुनाफा भी घट गया है.
रावण का पुतला बनाने वाले मुख्य कारीगर/कलाकार में से एक राहुल एबीपी न्यूज को बताते हैं, कोरोनाकाल से पहले हमारा काम अच्छा चल रहा था. हमारे पास 21 रावण तक के ऑर्डर आया करते थे. घर अच्छे से चल जाता था. लेकिन इस साल केवल 3 ऑर्डर आए हैं. ये 3 पुतले भी 10 या 20 फीट के हैं. सौ फीट के रावण में 8 हजार से 10 हजार रुपए का मुनाफा मिल जाता था, वहीं अब केवल एक हजार रुपये का मुनाफा मिल पाता है.
उन्होंने कहा कि हजार रुपये भी बाकी कारीगरों में बाटने होते हैं. इसका खर्चा भी बहुत है क्योंकि रंग, बांस इत्यादि अपनी जेब से खरीदना होता है. बारीक काम होने के कारण, एक हफ्ते से यह तीन रावण बना रहे हैं, लेकिन अब तक काम जारी है क्योंकि मेहनत और वक्त रावण छोटा हो या बड़ा लगता ही है.
दूसरे कलाकार वीरपाल सिंह कहते हैं कि एक तरफ सरसो का तेल तक 240 रुपये लीटर हो गया है, वहीं दूसरी तरफ दस दिन की घंटों की मेहनत के बाद हमें केवल एक हजार रूपये का फायदा मिल पाता है. इतने से पैसे में घर चलाना मुश्किल है, लेकिन बेरोजगार होने के कारण कोई और काम नहीं है. इसलिए जितना भी मुनाफा मिले हम काम करते हैं और अपने परिवार को चलाते हैं.
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