Pulwama Attack Anniversary: फिर न देश पर गुजरे वो काला दिन? पुलवामा के 4 साल बाद CRPF कितनी तैयार, देखें तस्वीरें
2019 के पुलवामा हमले के चार साल बाद फेडरल फोर्स को खतरे में डालने वाली किसी भी घटना को रोकने के लिए ज्यादा सुरक्षित प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है.
जम्मू और श्रीनगर के बीच राजमार्ग से कोई सुरक्षा बल का काफिला गुजर रहा होता है तो मार्ग पर नागरिक वाहनों की आवाजाही को पूरी तरह से रोक दिया जाता है. इसके साथ ही कई जगहों पर सीसीटीवी कैमरे को भी लगाया गया है.
सीआरपीएफ (Central Reserve Police Force) के अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा बल की ओर से बुलेटप्रूफ वाहनों को इस्तेमाल किया जाता है. इसके साथ ही सड़क के किनारे के पुलों को बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वायड से साफ किया जाता है.
सीआरपीएफ, कश्मीर ऑप्स सेक्टर के महानिरीक्षक एमएस भाटिया ने कहा कि हम सुरक्षा प्रोटोकॉल उपायों का सख्ती से पालन करते हैं. साथ ही हम किसी भी चूक के लिए कोई गुंजाइश नहीं छोड़ते हैं.
उन्होंने कहा कि काफिले के मार्ग पर इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की जाती है. इसके अलावा अगर हम संदिग्ध गतिविधि देखते हैं तो हमारी टीमें इसे खत्म करने के लिए तैयार हैं.
सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने बताया कि हमले के कुछ सप्ताह बाद भविष्य में इस तरह के हमले को रोकने के लिए सीआरपीएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस, इंटेलिजेंस ब्यूरो और अन्य एजेंसियों की एक संयुक्त बैठक हुई थी, जिसमें काफिले की आवाजाही के लिए नई प्रक्रिया लागू की गई थी.
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि जब एक काफिला गुजर रहा होता है तो राजमार्ग से किसी भी अन्य वाहनों की आवाजाही की अनुमति नहीं होती है. साथ ही, 2019 की घटना के बाद से कर्मियों को बुलेटप्रूफ वाहनों में ले जाया जाता है.
उन्होंने बताया कि एक काफिले में हर 4-5 गाड़ियों के बाद दो टीमें होती हैं- एक क्विक रिएक्शन टीम और एक काउंटर टेररिज्म टीम, जो आतंकी हमला होने पर तुरंत एक्शन में आ सकती हैं. इसके अलावा 70 सेंसिटिव स्पॉट्स पर आर्म्ड पर्सनल की चौबीसों घंटे चेक पोस्ट हैं.