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Chandrayaan-3: 'तो अंतरिक्ष में सेटेलाइट से टकराकर खत्म हो गया होता चंद्रयान-3', इसरो के वैज्ञानिकों ने मून मिशन को ऐसे बचाया

एबीपी लाइव   |  29 Apr 2024 06:16 PM (IST)
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हालांकि चंद्रयान-3 के लिए धरती से करीब पौने चार लाख किलोमीटर दूर चांद का सफर आसान नहीं था. बीच में अनगिनत ऐसी चुनौतियां थीं जो न केवल चंद्रयान-3 की राह में खड़ी थीं, बल्कि भारत के सपने को भी चकनाचूर कर सकती थीं.

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इसरो के कमांड सेंटर में बैठे भारत के वैज्ञानिकों ने सूझबूझ से काम लेते हुए उसी फॉर्मूले को अपनाया जिसे सड़क दुर्घटनाओं को टालने के लिए ब्रह्म वाक्य माना जाता है. ये वाक्य हैं 'दुर्घटना से देरी भली'.

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दरअसल अब इस बात का खुलासा हुआ है कि चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के समय इसकी राह में सैटेलाइट आ गई थी. अगर स्पेसक्राफ्ट को 4 सेकंड देरी से लॉन्च नहीं किया जाता तो सैटेलाइट से टक्कर में चंद्रयान-3 के चांद पर पहुंचने का सपना चकनाचूर हो जाता. भारत का सफल मून मिशन चंद्रयान-3 14 जुलाई 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था.

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सिर्फ चंद्रयान-3 ही नहीं, बल्कि PSLV-C55/TeLEOS-2 की लॉन्चिंग भी 22 अप्रैल 2023 को एक मिनट की देरी से की गई थी. इसके अलावा 30 जुलाई 2023 को PSLV-C56/DS-SAR की लॉन्चिंग में भी एक मिनट की देरी की गई थी. ताकि इन दोनों रॉकेट्स और सैटेलाइट के सामने आने वाले अंतरिक्ष के कचरे और अन्य उपग्रहों की टक्कर से बचा जा सके.

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लॉन्चिंग से पहले इसरो वैज्ञानिकों को चंद्रयान-3 के मार्ग में अंतरिक्ष का कचरा दिखाई दिया. अगर चंद्रयान-3 तय समय पर लॉन्च होता तो इससे स्पेसक्राफ्ट के कचरे से टकराने का खतरा था. यह अंतरिक्ष का कचरा किसी अन्य सैटेलाइट मिशन का टुकड़ा था, लेकिन ये कचरा बेहद तेज गति से धरती की निचली कक्षा में चक्कर लगा रहा था.

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इसी वजह से इसरो वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग में चार सेकेंड की देरी की. ताकि कचरा इसके रास्ते से दूर चला जाए.

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अंतरिक्ष में स्पेसक्राफ्ट के किसी सैटेलाइट से टकराने से बचाने के लिए इंजन को ऑन करके उसकी दिशा, ऑर्बिट और गति में बदलाव करते हैं. साल 2023 में इसरो ने अलग-अलग सैटेलाइट्स और स्पेसक्राफ्ट्स के लिए यह काम 23 बार किया.

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केवल चंद्रयान-3 ही नहीं बल्कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के ऑर्बिट को ‌भी 17 बार बदला गया, ताकि इनकी टक्कर किसी अंतरिक्ष के कचरे से ना हो.

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